Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur

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Page 648
________________ धर्मानुरागिणी मातुश्री श्रीमती अनुराधा- श्रीमान् अशोककुमार जैन चोथबाई सियाल अशोककुमार जैन भारत के महापुरुषों ने जीवन की परिभाषा करते हुए लिखा है कि जीवन वह है जिसमें उदारता हो, धर्म के प्रति सदभावनाएँ हों. जो स्व-पर कल्याण के मार्ग का अनसरण करता हो। प्रस्तत कसौटी पर जब हम उदारमना मातेश्वरी चौथबाई सियाल के जीवन को कसते हैं तो वो खरी उतरती हैं । आपके जीवन में सादगो, संयम, परोपकारिता, उदारता, दयालुता नाना भाँति के गुण मौजूद थे, जिसके कारण ही आप घर-परिवार तक ही सीमित नहीं रहीं, अपितु समाज तक आपके सद्गुणों का प्रकाश पड़ा। आज भले ही इस प्रत्यक्ष जगत में आप नहीं रही हैं, परन्तु आपके गुण सदा रहेंगे । आपका पाणिग्रहण श्रीमान् कन्हैयालालजी सियाल के साथ हुआ। आपके दो सुपुत्र श्रीमान रणजोत सिंहजी सियाल एवं यशवन्तसिंहजी सियाल हैं। आपकी ६ सुपुत्रियाँ-जिनका नाम दौलत, झनकार, गणपत, स्नेहलता, अनुराधा एवं वीणा हैं । आपकी ही सुपुत्री स्नेहलता कुमारी आज जैन जगत को एक प्रतिभासम्पन्न साध्वीरत्न हैं और इस विशालकाय ग्रन्थ की प्रधान सम्पादिका हैं, साध्वी दिव्यप्रभा जी। आपकी पुण्य स्मृति में आपकी सुपुत्री श्रीमती अनुराधा ने अपने श्वसुर माणकचन्द सा डाँगी एवं सास लाडकंवरबाई की प्रेरणा से तथा पति श्री अशोक कुमारजी जैन के सहयोग से प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में उदारतापूर्वक सहयोग प्रदान किया है। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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