Book Title: Kundkundacharya Author(s): Prabha Patni Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 8
________________ स्वामी। यह शास्त्रजी लीजिए। जंगल में आग लग गई.थी, जलते हुए वृक्षों के बीच यह सुरक्षित मिले। 99ONGS TEEJLI 1303 मैं पद नहीं सकता, पर ये बहुत कीमती हैं। अपने स्वामी को भेंट करूंगा। 40000 मथवरिन। तू भाग्यवान है। शास्त्रों में भगवान कीवाणी लिखी होती है। कोई ज्ञानी पुरुष आयेगा उससे सूझेंगे,शास्त्र में क्या लिखा है? पण एक दिन एक मुनि महाराज | सेठ के घर पधारे हे स्वामी। प्रणाम! यह शास्त्र स्वीकार कीजिए। वत्स ! तू भाग्यमान है। तेरा कल्याण हो। द LANPage Navigation
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