Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
View full book text
________________
१२६
कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : षष्ठ खण्ड
-.
-.
-.
-.
-.-.-.
-.
-.-.-.
-...
-.-.-.
. .
-.-.-.-.-.-.
..
-.-.
जुड़े जोड़ता तूझ विसारा, सिंघवी जस कायब सरस । आप हूंत किल भलो ऊधड़े, कनक भलोड़ा तणौ कस ।। वरणवता दातार तूझ वड़ गौरव सहत रचीजै गीत । मेघ भींत अतोखी माथै, चोखा घणा मंडीज चीत ।। जनमै नहीं बात जग जाहर, विमल सारदा देस विहीण ।
केसर जिम ते भीम कलोधर, सत कायब मान सुकलीण ।। (४) पर धर अरि जिकै फैलिया पगपग, हैवर नकू खरीद हुवे ।
मान प्रताप कोट नव माहै, सहूं प्रजा सुख नींद सुवै ।। ओधा दिस कुलवाट उजाला, भाला सगह दूजा भीमेण । तू यह बगसी तूझत बोल, तुरंग हजार खटावे तेण ।। मेघराज धजराज मांहरौ, वाल बंधाव बधारण वाल । मन में आवै जिता मेलणां, रुपिया बांध पलै रुमाल ॥ कर हाणणाट ठांण पग कूट, घोड़ो मांग थोक घणा ।
ऊगै दिन रूपिया आधारी, तलब मैट अखमाल तणा ॥ मुहता साहिबचन्द्र-यह महाराजा मानसिंह का अत्यन्त विश्वासपात्र और पराक्रमी पुरुप था। इसने विभिन्न लड़ाइयों में भाग लेकर जोधपुर राज्य की अच्छी सेवा की थी। इसने वि० सं० १८६१ में महाराजा की आज्ञा से घाणेराव पर चढ़ाई कर उसे जोधपुर के अधिकार में कर लिया। वि० सं० १८७३ में इसने सिरोही से चढ़े हुए दण्ड के रुपये वसूल करने के लिए चढ़ाई की और भीतरोट क्षेत्र को लूटा। वि० सं० १८७४ में साहिबचन्द ने पुन: सिरोही पर चढ़ाई की। महाराव उदयभाण शहर छोड़ कर भाग गया और साहिबचन्द ने यहाँ के दफ्तर आदि जला कर दस दिन तक नगर को लूटा, तत्सम्बन्धी एक गीत तथा एक अन्य गीत इस प्रकार हैं
गीत साहिबचन्द मुहता रो आबू लेलियौ अलावदीन पैड ही न आयौ उठी,
देलियौ जलाबदीन उठी नू न दौट । मेलियौ तै भलो मेल घाट तोड़वा रौ मंत्री,
मेलियौ त साहिबा ठिकाणे भीतरौट ॥ वला अन्धकार रा में लाख ज्यू झौकिया बाज,
केहरी ग्या भाज छंडै थाहरां कराल । कीधौ हाथ सिवारा तै देवड़ा लगाई कालौ,
___ आबू आडादला वालौ औढी अंतराल । कोली मांण मंदा थाने वाघेला बारडां कंपै।
नाहेरां भाडेरां हंदां दुआ सूना सेस । डोहियो तै मान रा कॉमेत सिंधू रोड डंका,
दोनू वंका गिरिन्द्रा बिचाल वंको देस ॥ सूबो दाप दाहै लीधा फौजां रा हबौला साथ।
बेलियां निवाहै बोल चंडीनाथ बेल । साहिबा ते चडी चोट लीधौ भीतरोट सारी,
बैधै लाग काट लेणां थारै हासो खेल ॥
०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org