Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 547
________________ ३९ ११६ २९१ परिशिष्टम्-५ ५०१ क्र०सं० विशिष्टशब्दाः पृ०सं० | क्र०सं० विशिष्टशब्दा: पृ०सं० २७४. नानिष्टानां शास्त्रे प्रक्लृप्तिः २१६ | ३०५. परं कार्यम् २७५. नामभूता: संज्ञा रूढा: | ३०६. परगामी २७६. नामार्थ: | ३०७. परत्वम् २७७. नाश: | ३०८. परपक्ष: १५४,४०४ २७८. निःश्रेयसहेतु: | ३०९. परपुरुषः २७९. नित्यप्रवृत्त: ३१०. परमतानुवादः १६० २८०. नित्यम् | ३११. परमते १९, ७४, ८४, १३९, २८१. नित्ययोगः १६१, १६३, २६७, ३०८, ३०९ २८२. निन्दाप्रस्ताव: | ३१२. परसप्तमीयम् ३३२, ३३४ २८३. निपातः ३१३. परमाणव: २८४. निपातनम् | ३१४ परसूत्रे २८५. नियतप्रयोगा हि केचिदव्ययाः ८४ | ३१५. परस्मैपदपाद: २८६. नियमः ३१६. परस्मैपदप्रत्ययाः १२२ २८७. नियमव्यावृत्त्या ३१७. परस्मैपदम् २८८. नियमश्च द्विधा ३१८. परस्मैपदसंज्ञा १,११ २८९. नियमार्थानि | ३१९. परस्मैभाषा १२ २९०. निरन्वयाः संज्ञा: ३२०. परार्थाश्रयणम् ३८४ २९१. निर्गलितार्थ: १९, ९४ ३२१. परार्थे प्रयुज्यमान: शब्द: २९२. निशानम् ३२२. परिगणनम् २९३. नैतद् दर्शनं व्याकरणे ६६ | ३२३. परिशिष्टम् २९४. पञ्चमी २९५. पञ्चैते भाषायां व्यवस्थिताः ३३० ३२४. परिहारगौरवम् ११७ २९६. पदभङ्गः ३२५. परिहासे गम्यमाने २९७. पदसंस्कारः ८४, ९५ ३२६. परोक्षम् १२८ २९८. पदसंस्कारकं हि व्याकरणम् २८१ | ३२७. परोक्षा ६०, ६६, १११, १२९, २९९. पदसंस्कारकमेव व्याकरणम् २६१ ३३१, ३६१, ४१७ ३००. पदसंस्कारकाल: | ३२८. पर्यनुयोगः ३०१. पदसंस्कारात् ६६ | ३२९. पर्यायता ३०२. पदसमुदायो वाक्यम् १४५ | ३३०. पर्यायप्रसङ्गः २४ ३०३. पदार्थद्वयम् १८, २४ | ३३१. पर्यायाः १८ ३०४. पदार्थः पदेनैव गम्यते ३३२. पक्षान्तरम् ३५४ नावयवेन २३८ | ३३३. पाकक्रिया २४ ११३ ०

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