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कुएं के पास ठहरा, बैल को पानी पिलाकर विश्रामहेतु एक वृक्ष के नीचे बैठा। वहां कुछ ग्रामीण व्यक्ति पहले से ही बैठे थे। नवागन्तुक के पांडित्य का परिचय पाकर वे बोले-'हमारे गांव में भी एक पंडित रहता है, आप उनके साथ शास्त्रार्थ करें।' ब्राह्मणपुत्र ने आनाकानी की तो वे कहने लगे-'शास्त्रार्थ किए बिना पांडित्य का परीक्षण क्या होगा?' गांववासियों के उकसाने से न चाहने पर भी उसने शास्त्रार्थ के लिए स्वीकृति दे दी। ___ग्राम से पंडित को बुलाया गया। वह था तो मूर्खभट्टारक पर ऊलजलूल बातें बताकर पंडित बन बैठा। उसने आते ही कहा-'शास्त्रार्थ करना है तो बोलो मध्यस्थ कौन है?' ग्रामवासी बोले-'मध्यस्थ हम हैं।' पंडित ने पुनः पूछा-'शर्त क्या है?' वे बोले- 'पंडितजी! इस राहगीर पंडित के पास शास्त्रों से भरी हुई बोरी
और एक बैल है। यदि यह हारे तो शास्त्र-भंडार तथा बैल आपका और आप हारे तो घर का माल-असबाब सारा पंडित का।'
सारी बातें तय होने के बाद वह ग्रामीण पंडित बोला- 'पंडितजी! मेरा एक प्रश्न है-'तुंबक तुंबक तुंबा है जी तुंबक तुंबक तुंबा है'-इस प्रश्न का उत्तर दो।'
नवागन्तुक पंडित इस प्रश्न की भाषा को नहीं समझ सका। उसने अपने सारे ग्रंथ छान डाले, पर प्रश्न का उत्तर कहीं नहीं मिला। ग्रामीण लोग बोले-'हमारे पंडितजी महापंडित हैं। आप इनसे हार गए, अतः शर्त के अनुसार सारी पुस्तकें
और बैल इनको सौंप दो।' ब्राह्मणपुत्र बहुत दुःखी हुआ। अपना सर्वस्व वहीं छोड़कर वह दुःखी मन से अपने गांव पहुंचा।
___ पारिवारिक लोग उसकी प्रतीक्षा में खड़े हुए थे। उसे विमनस्क और व्यथित देखकर पिता ने पूछा- 'पुत्र! बारह साल बाद घर आए हो। खुशी के इन क्षणों में यह उदासीनता क्यों?' पुत्र का गला भर आया। उसने अपने साथ बीती सारी घटना सुना दी। ब्राह्मण सुनकर मुस्कराया और बोला- 'बेटा! चिंता मत करो। जाओ, विश्राम करो। मैं अभी जाता हूं और तुम्हारे ग्रन्थ लेकर आता हूं।'
ब्राह्मण ने तिलक-छापा कर ब्राह्मणत्व को अच्छी प्रकार निखारा। साथ में एक बैल लिया और एक खाली बोरी। रास्ते में आरणिया छाणों (कण्डों) से बोरी को भरकर उसी ग्राम में पहुंचा। गांववासियों ने पंडितजी का परिचय पाकर उसी प्रकार शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दी। पंडितजी ने अपनी स्वीकृति दी। ग्राम के पंडित को सूचना मिली। वह विजयी जुआरी की भांति दौड़ता हुआ आया। वही शर्त और वे ही मध्यस्थ। पंडित ने अपना वही 'तुंबक तुंबक तुंबा' वाला प्रश्न दोहराया।
२८० / कालूयशोविलास-१