Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
"
www.kobatirth.org:
संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१
·
(२) शतक नव्य कर्मग्रन्थ- बालावबोध, गणि शान्तिविजय, गद्य, मूपु. ( योगनाभेद) ९१७०-५
(२) व्यवहारसूत्र - बालावबोध' माग गद्य, मृपू. (-) ७१३०११ (२) व्यवहारसूत्र -टबार्थ, मागु., ग्रं. २५००, गद्य, मूप्पू., (जे० जे कोई) ३३५, ३९१ ३४५५ ४२१९१०) ३३७० ६७२५ (२) व्यवहारसूत्र - टबार्थ *, मागु., गद्य, मुपू., (-) ४०(M) व्याख्यानश्रवण विधि, प्रा., मागु., गद्य, मुपू., ( इच्छामि खम ) १४९०-३
(२) शतक नव्य कर्मग्रन्थ-टवार्थ, मागु, गद्य, मुपु. ( परमात्मानइ ) १७४(+), २४८०-५(+), २९६९-५ (+), ३२२१-१ (+), ४८६२-५ (+), ५२७३-५११ १३०६-१० ३९८०
व्याख्यानश्लोक सङ्ग्रह, सं., प्रा., मागु, पद्य, मृपू. (जिनेन्द्रप) १८१७(+), ५६९४-१, ८९९१(s), २१६३ (३
($)
(२) व्याख्यान सङ्ग्रह- व्याख्या, सं., गद्य, मृपू.. (नृजन्मवृक) ८९९
($)
(२) व्याख्यान सङ्ग्रह - विवेचन, मागु., गद्य, मुपू., ( श्रीअरिहन) १८१७(+)
T
व्याख्यान सङ्ग्रह, से, मागु.. गद्य, भूपू (देवपूजा दय) ३१५६ ३०८ ५८२७-९८
($)
व्रत विधि, प्रा. सं., गद्य, मृ.. (-) ८९११-१ व्रतोच्चारण विधि आलापकयुक्त, प्रा., सं., प+ग, जै., (प्रथमा नाल) ८१६३-२ शक्रस्तव-अर्हन्नामसहस्र, आ. सिद्धसेनदिवाकर सूरि, सं., प+ग, भूपू (ॐ नमोर्हत ) ५०६६१), २८३-१, २५२६ शतक नव्य कर्मग्रन्थ, आ. देवेन्द्रसूरि, प्रा. गा. १००, पद्य, मूपू., (नमिय जिणं) १७४) २४८०-५० २५३६) २९६९-५/११ ३२२१-१(+), ३७३७-५(+), ४०२९(+), ४८६२-५ (+), ५२७३-५ (+), ५८४७-५ ५९०२-५ ९२६८-५११ ४७४४-२ ०८२७jlads 2934-4(+8) 2938(+8) 9308-9/+8) 4830-4(+8)
२३३३-५, ३४९०-५, ३९८०, ४३०८-२, ७८७०-५, ८६३२-५.
९१०३-५, ९१७०-५, १६९३-५, ६५३०-५, १६४५-५(5), ५००५राश ७३७९-५शि १६१-५१, ६८१३१
शतक नव्य कर्मग्रन्थ-विनेयहिता वृत्ति, आ. हेमचन्द्रसूरि मलधारि ३७००, गद्य, ग्रुपु. ( जयत्यभिप्र) १५४ (२) शतक नव्य कर्मग्रन्थ-स्वोपज्ञ टीका, आ. देवेन्द्रसूरि सं अं.४३४०, गरा, भूपू., (यो विश्ववि) २५३६) ९०५४-५५ ४७४४-२०१
(२) शतक नव्य कर्मग्रन्थ-अवचूरि, सं., गद्य, मुपू., (नमिअजिणं०)
२३३३-५
(२) शतक नव्य कर्मग्रन्थ - अवचूर्णि, आ. गुणरत्नसूरि, सं., अं.३१००, वि. १४५९, गद्य, मृपू. (घातिन्यस्त) ८७५७-२०१ (२) शतक नव्य कर्मग्रन्थ- बालानबोध, मागु, गद्य, मृपु. ( वीतराग नमस) ५९१७-५, ६५३०-५, ६८१३($)
(२) शतक नव्य कर्मग्रन्थ- बालावबोध, मु. मतिचन्द्र, मागु., गद्य, म.. (रत्नत्रयोप) ४०२९१) ९२६८-५९ ३४९०-५
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
४८७
मागु.,
(२) शतक नव्य कर्मग्रन्थ-टबार्थ, उपा. धनविजय, मागु., गद्य, मूपू., (ध्रुवबन्धी) ३७३७-५ (+), ५४३०-५ (+), ८६३२-५
(२) शतक नव्य कर्मग्रन्थ-यन्त्र, पं. सुमतिवर्धन, मागु., ग्रं. ९००,
वि. १८७५, कोष्टक, भूपू (श्रीजिन) ४६५४) ४३३८-४० (२) शतक नव्य कर्मग्रन्थ-कोष्ठक, मागु, यंत्र, मूप्पू., (ध्रुवबन्धन)
१८७४
शत्रुंजयतीर्थ इक्कीसनाम व खमासमण विधि, सं., मागु., गद्य, मूपू., (श्रीशत्रुञ) २७१०-२
शत्रुंजयतीर्थ चैत्यवन्दन, पं. पद्मविजय, सं., श्लोक ७, पद्य,
मूपू., (विमलकेवलज) २३३७-१५(+), १११७-११, २३४०-४ शत्रुंजयतीर्थ स्तव. सं., श्लोक १३, पद्य, मृपू. (धरणेन्द्रप) ४९८१-३
शत्रुंजयतीर्थ स्तव, सं., श्लोक ५, पद्य, मूपू., ( नव प्रव्रज) १३३६
४
शत्रुंजयतीर्थ स्तुति, प्रा., गा. १, पद्य, मुपू., (सिद्धो विज) ५८२७
६७
शत्रुंजय माहात्म्य, आ. धनेश्वरसूरि, सं., सर्ग १४, ग्रं. १००००, पद्य मूपू., ( ॐ नमो विश) ७५५ ७५२ ७७१७ ८२०८ PER
(#$)
For Private And Personal Use Only
(२) शत्रुंजय माहात्म्य- बालावबोध, सं., मागु., गद्य, मूपू., (--) २४९० ३
"
(२) शत्रुंजय माहात्म्य-टवार्थ, मागु, गद्य, मृपू. (प्रणम्य) ७७१७ शनिश्चर स्तोत्र, सं., श्लोक १०, पद्य, वै., (यः पुरा रा) ५३२०२, २१०१-४, ५४८९-१४(S)
शब्दसंचय, सं., गद्य, भूपू (शब्दाम्भोध) ४७२३ शरीरपर्याप्ति यन्त्र, संयंत्र, भूपू (--) ४३५२४मा शलाकापुरूष बल गाथा, प्रा., गा. १, पद्य, मुपु. (च्छते सि
८६३-२
(२) शलाकापुरूष बल गाथा-टबार्थ, मागु., गद्य, मुपू., (प्रथम वासु) ८६३-२
शान्तिजिन चरित्र, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., गा. ३३. पद्य भूपू.. (अप्पडियम) २८४६४-२१०
(२) शान्तिजिन चरित्र-टवार्थ, मागु, गद्य, मृपु. ( अप्रतिहत) २८४४-२(+)
शान्तिजिन चैत्यवन्दन, उपा. कुशलसागर सं., श्लोक १३, पद्य,

Page Navigation
1 ... 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610