Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 19
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ॥ श्री महावीराय नमः ॥ ।। श्री बुद्धि-कीर्ति कैलास-मुबोध-मनोहर-कल्याण- पद्मसागरसूरि सद्गुरुभ्यो कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.१९ ७७५५१ (+) सिद्धांतरलिका व्याकरण-अनिट्कारिका की टीका, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र. वि. हुंडी: अनिट्कारिका, पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-संशोधित., जैदे., ( २६.५X१२.५, १२४३५). सिद्धांतनिका व्याकरण अनिट्कारिका की टीका, सं., गद्य, आदि (१) अनिट्स्वरांतो भवतीति, (२) स्वरांतो धातुरनिट्; अंतिः एकः जांता: पंचदश, (वि. मूल पाठ प्रतीकात्मक लिखा है.) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७७५५३. (#) कातंत्रविभ्रम सूत्र सह अवचूरि, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ३, प्र. वि. त्रिपाठ. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, जैदे., (२५.५X१०.५, १७x४१-६६). हैमविभ्रम, सं., पद्य, आदि: कस्य धातोस्तिवादीनाम; अंति: (-), (पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., श्लोक १० तक लिखा है.) हैमविभ्रम-अवचूरि, ग. चारित्रसिंह, सं., गद्य, वि. १६२५, आदि: नत्वा जिनेंद्र, अंति: (-), पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. ७७५५६. दशवैकालिकसूत्र का बालावबोध, अपूर्ण, वि. २०वी मध्यम, पृ. १, दे. (२६.५४१३, १९४४८). दशवैकालिकसूत्र-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: प्रणम्य श्रीमहावीर, अंति: (-), (पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., भूमिका मात्र है.) ७७५५७ (+) सूयगडांगसूत्र- अध्ययन ६ व तंत्रमंत्र, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४-३ (१ से ३)=१, कुल पे. २, प्र. वि. हुंडी : सू० सूत्र, पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६X११.५, ९x४०). १. पे नाम, सूयगडांगसूत्र अध्ययन ६, पृ. ४आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. सूत्रकृतांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा. प+ग, आदि (-); अंति (-), (प्रतिअपूर्ण, पू. वि. अध्ययन-६ की गाथा ४७ अपूर्ण से है.) २. पे नाम तंत्रमंत्र, पृ. ४आ, संपूर्ण. मंत्र-तंत्र-यंत्र संग्रह*, उ.,पुहिं., प्रा., मा.गु., सं., प+ग, आदि: (-); अंति: (-). ७७५५८. चंद्रप्रज्ञप्ति गाथा- नमिऊण मंत्र व पेटपीडा निवारण मंत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, दे., (२५.५५११, ३X५० ). १. पे नाम चंद्रप्रज्ञप्ति गाथा नमिऊण मंत्र सह टवार्थ व बालावबोध, पृ. १अ. संपूर्ण. चंद्रप्रज्ञप्ति गाथा- नमिकण मंत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि नमिउण असुर सुर गरुल, अंति: उवज्झाय सव्वसाहू व गाधा-१, (वि. यह कृति विशेष टबा व बालावबोध के साथ दो बार लिखि गई है.) चंद्रप्रज्ञप्ति गाथा-नमिऊण मंत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदिः ॐ न० नमसकार करीने ५१; अंति: मानसी दुख जाय सही. चंद्रप्रज्ञप्ति गाथा- नमिऊण मंत्र- बालावबोध, मा.गु. गद्य, आदि (-): अंति: (-), (वि. आवश्यतानुसार बालावबोध दिया गया है.) २. पे नाम, पेटपीडा निवारण मंत्र. पू. १आ, संपूर्ण मंत्र-तंत्र-यंत्र संग्रह", उ., पुहिं., प्रा., मा.गु. सं., पग, आदिः ॐ नमो आकाश की पुला; अंति: पावे पेटपीडा जाय. ३. पे. नाम पद्मावती मंत्र. पू. १आ, संपूर्ण, पद्मावतीदेवी मंत्र. सं., गद्य, आदिः ॐ नमो भगवती पद्मावती, अंतिः श्री पद्मावती नमः. ७७५५९ (+) बृहत्संग्रहणी, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. २३-२२ (१ से २२ ) = १. पू. वि. मात्र बीच का ही एक पत्र है., प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें जैदे., ( २६११, ११४४२). For Private and Personal Use Only

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