Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 15
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ५९२९४. (#) नवस्मरण सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १७, पृ.वि. अंत के पत्र नहीं हैं..प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६.५४११, ४४३०). नवस्मरण, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं० हवइ; अंति: (-), (पू.वि. भक्तामर स्तोत्र के
श्लोक-२५ अपूर्ण तक है.)
नवस्मरण-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: ते त्रिभुवननी पुजा; अंति: (-). ५९२९५. (+) संघपट्ट सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १४, प्रले. श्रावि. नाथीबाई; अन्य. श्रावि. हेमकुंवर बाई; मु. देवजी ऋषि; श्रावि. सूताबाई; नाथा बाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७.५४११.५, ४४३२).
संघपट्टक, आ. जिनवल्लभसूरि, सं., पद्य, आदि: वह्निज्वालावलीढं; अंति: यापीत्थं कामहे, श्लोक-४०.
संघपट्टक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: व० अगनि तेहनी ज्वाला; अंति: महापराभव पामीई छई. ५९२९६. (+) प्रतिक्रमण सूत्रादि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३०-२१(१ से २१)=९, कुल पे. ६, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद
सूचक लकीरें., जैदे., (२७४११.५, १२४३१-३४). १. पे. नाम. साधुप्रतिक्रमणसूत्र, पृ. २२अ-२३आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. साधुप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह श्वे.मू.पू., संबद्ध, प्रा.,सं., प+ग., आदि: (-); अंति: वंदामि जिणे चउवीसं,
(पू.वि. "आहारसण्णाए भयससण्णाए" पाठ से है.) २. पे. नाम. प्रवज्या कुलक, पृ. २३आ-२५आ, संपूर्ण.
प्रव्रज्या कुलक, प्रा., पद्य, आदि: संसार विसमसायर भवजल; अंति: तरंति ते भवसलिलरासिं, गाथा-३४. ३. पे. नाम. श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र, पृ. २५आ-२७आ, संपूर्ण.
वंदित्तुसूत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु सव्वसिद्धेः अंति: वंदामि जिणे चोवीसं, गाथा-५०. ४. पे. नाम. संथारापोरसीसूत्र, पृ. २७आ-२८आ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि: निसीहि निसीहि निसीहि; अंति: जीवा कम्मवसु० खमंतु, गाथा-१४. ५. पे. नाम. दशवैकालिकसूत्र- अध्ययन १ से २, पृ. २८आ-२९अ, संपूर्ण.
दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि: धम्मो मंगलमुक्किट्ठ; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. ६.पे. नाम. उपदेशमाला स्वाध्याय, पृ. २९अ-३०आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है.
पौषध सज्झाय-खरतरगच्छीय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: जगचूडामणिभूओ उसभो; अंति: (-), (पूर्ण, पू.वि. गाथा ३३
__ अपूर्ण तक है.) ५९२९७. (+) दशवैकालिकसूत्र, पूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. २५-१(३)=२४, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११, ११४४५).
दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि: धम्मो मंगलमुक्किट्ठ; अंति: सव्वदुहाण मुच्चइ,
___ अध्ययन-१०, (पू.वि. अध्ययन- ४ सूत्र-१ अपूर्ण से ५ अपूर्ण तक नहीं है.) ५९२९८. (+) सम्यक्त्वकौमुदी कथा, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४६, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरे-संशोधित-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२७४११, १३४३८-४८).
सम्यक्त्वकौमुदी कथा, उपा. विनीतसागर, सं., गद्य, आदि: श्रीवर्धमानमानम्य; अंति: सर्वतीर्थमभ्यागतः, ग्रं. १५८७. ५९२९९. (+) उत्तराध्ययनसूत्र सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १५७-१३२(१ से ४७,५९ से १२८,१३३ से १४७)=२५,
पू.वि. बीच-बीच के पत्र हैं., प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२७.५४१२, ४४३४-४५). उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग., आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. प्रारंभ से अध्ययन-१२ गाथा-५ अपूर्ण से
अधययन-१३ गाथा-३३ से अध्ययन-२३ गाथा-८६ अपूर्ण तक, अध्ययन-२५ गाथा-१ अपूर्ण तक व अध्ययन-२७
गाथा-१४ अपूर्ण तक व अध्ययन-२८ तक है.)
उत्तराध्ययनसूत्र-टबार्थ + कथा संग्रह , मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). ५९३००. (+) सूत्रकृतांगसूत्र सह बालावबोध श्रुतस्कंध-२, अपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ३४-१(१)=३३, पू.वि. बीच के पत्र हैं.,
प्र.वि. पंचपाठ-संशोधित., जैदे., (२७.५४११, १४४४१).
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