Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 14
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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४२५
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.१४ ५. पे. नाम. आत्मशिक्षा सज्झाय, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, वि. १६वी, आदि: धरम म मुकीस विनय; अंति: लावणयसमय०
आनंदोरे, गाथा-८. ६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ७आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय-निंदात्यागे, मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: गुण छे पुरा रे; अंति: सहजसुंदर० उछो रे बोल,
गाथा-६. ७. पे. नाम. बुद्धि रास, पृ. ७आ-९अ, संपूर्ण. ___ आ. शालिभद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमवि देवि अंबाय; अंति: सालभद्र० टलै कलेस तो, गाथा-६२. ८. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
मु. कस्तूर, मा.गु., पद्य, आदि: पदमणी चंचलरे धी; अंति: जपौ जपौ श्रीनवकार, गाथा-१२. ९. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. ९आ-१०आ, संपूर्ण. शांतिजिन छंद-हस्तिनापुरमंडन, आ. गुणसागरसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सारद माय नमुं सिरनाम; अंति: मनवंछित
शिवसुख पावे, गाथा-२२. १०.पे. नाम. २४ जिन स्तवन-मातापितानामादिगर्भित, पृ. १०आ-११आ, संपूर्ण.
मु. आणंद, मा.गु., पद्य, वि. १५६२, आदि: सयल जिणेसर प्रणमुं; अंति: तासु सीस पभणे आणंद, गाथा-२९. ११. पे. नाम. गौतमस्वामी छंद, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण.
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, वि. १६वी, आदि: वीरजिणेसर केरोसीस; अंति: लावण्यसमय० संपति कोड, गाथा-९. १२. पे. नाम. उपदेश बत्तीसी, पृ. १२अ-१३अ, संपूर्ण.
उपदेशबत्तीसी, मु. राज, पुहिं., पद्य, आदि: आतमराम सयाने तें; अंति: राज कहे० सुणीजै जी, गाथा-३२. १३. पे. नाम. सीमंधरजिन वीनती स्तवन, पृ. १३अ-१४अ, संपूर्ण. सीमंधरजिन विनती स्तवन, उपा. भक्तिलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: सफल संसार अवतार; अंति: पूरि आस्या मनतणी,
गाथा-१८. १४. पे. नाम. आत्महित सीख सज्झाय, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. विजयभद्र, मा.गु., पद्य, आदि: मंगल करण नमीजे चरण; अंति: विजयभद्र० नही अवतरे,
गाथा-२७. १५. पे. नाम. स्थुलिभद्रमुनि सज्झाय, पृ. १५अ, संपूर्ण. स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. शिवचंद, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीथुलभद्र मुनीसर; अंति: शिवचंद० अविचल पाली,
गाथा-१०. १६. पे. नाम. पांच पांडव सज्झाय, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण.
५ पांडव सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: हस्तिनागपुर वर भलु; अंति: मुज आवागमण निवार रे, गाथा-१८. ५८५९३. (+) वृतमंडली व चंदनमलयागिरी रास, संपूर्ण, वि. १९६८, वैशाख शुक्ल, १५, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ११, कुल पे. २,
ले.स्थल. जोधपुर, प्रले. गोपीकीसन लछमीनारायण बोडा, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., दे., (२५४११.५,१५४४९). १. पे. नाम. वृत्तमंडली, पृ. १अ-४अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: पंच परमेष्ठि प्रणमुं; अंति: हाथे समजने गिण लीजीए, ढाल-८. २. पे. नाम. चंदनमलयगिरी रास, पृ. ४अ-११आ, संपूर्ण.
सा. पार्वतीजी, मा.गु., पद्य, वि. १९५१, आदि: श्रीसासणजिन समरीयै; अंति: कीयो अमृतवेलासार, ढाल-२१. ५८५९४. सज्झायादि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, कुल पे. २८, प्र.वि. पत्र के अंत में कृति अनुक्रमणिका दी गई है.,
जैदे., (२४.५४११.५, २१४४९). १. पे. नाम. इरीयावहि सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
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