Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 12
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 488
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.१२ www.kobatirth.org १४-१७x४२-५४). १. पे. नाम. उपदेशमाला यंत्र, पृ. १अ - ३आ, संपूर्ण. ३. पे. नाम. सरस्वती छंद, पृ. १अ संपूर्ण सरस्वतीदेवी छंद, मु. सहजसुंदर, मा.गु, पद्य, आदि: शशिकरनिकर समुज्वल, अंतिः पुजो नित सरस्वति, ढाल ३, गाथा - १४ (वि. मात्र प्रतीक पाठ दिया गया है.) ४. पे. नाम जिनचैत्यवंदन स्तोत्र, पृ. १आ, संपूर्ण तीर्थवंदना चैत्यवंदन, सं., पद्य, आदि: सद्भक्ता देवलोके रवि, अंतिः सततं चित्तमानंदकारि, श्लोक - ९. ५२०२५. (# ) खंधकमुनि सज्झाय, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, पू. वि. मात्र प्रथम पत्र है., प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, वे. (२४४१०.५, १२x२७-३०). खंधकमुनि सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: तिण अवसर मुनिराय, अंति: (-), (पू.वि. गाथा १९ तक है.) ५२०२६. (#) मौन एकादशी कथा, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. आ. जिनचंद्रसूरि (खरतरगच्छ ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. मूल पाठ का अंश खंडित है, जै, (२५x१२, १७x४८). " मौनएकादशीपर्व कथा, आ. सौभाग्यनंदिसूरि, सं., पद्य, वि. १५७६, आदि: अन्यदा नेमिरीशाने, अंति: हम्मीरपुरसंश्रितैः श्लोक-११८. ५२०२७. उपदेशमाला यंत्र, अनशन गाथाक्रम व शकुनावली, संपूर्ण वि. १९वी मध्यम, पृ. ४, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५४११, उपदेशमाला - उत्कृष्ट-मध्यम गाथा व अक्षरसंख्या यंत्र, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-). २. पे. नाम. उपदेशमाला अनशन गाथाक्रम, पृ. ४अ ४आ, संपूर्ण Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). ३. पे. नाम. उपदेशमाला शुकनावली, पृ. ४आ, संपूर्ण. उपदेशमाला गाथा शकुन, संबद्ध, प्रा., मा.गु., पद्य, आदिः आदौ षट् शुन्ये; अंति: दिन २४ एतत् कल्पना. ५२०२८. (#) सौभाग्य पंचमी स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९ वी, मध्यम, पृ. १, प्र. वि. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, जैदे., " ४७१ (२५.५५११, २१X५३). सौभाग्यपंचमीस्तोत्र, मु. कुंअरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसतिमात पसाउलै गुरु; अंतिः कुअर० ज्ञान सदा भजउ, गाथा - ३५. ५२०२९. संबोहसत्तरी, संपूर्ण, वि. १८७७, पौष शुक्ल, १०, शनिवार, मध्यम, पृ. ४, पठ. मु. राजा ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५X१०.५, १४-१५X२८-३२). " संबोधसप्ततिका, आ. रत्नशेखरसूरि प्रा. पद्य, आदि; नमीऊण तिलोअगुरु, अंतिः सो लहइ नत्थि संदेहो, गाथा-७५. ५२०३०. जिन नमस्कार व स्तुति, संपूर्ण वि. १७वी, मध्यम, पृ. १. कुल पे, २ जै. (२५.५x११, १२४३८). , १. पे. नाम चतुर्विंशतिजिन नमस्कार, पृ. १अ १आ, संपूर्ण. २४ जिन चैत्यवंदन, सं., पद्य, आदि: जिनर्षभप्रीणितभव्य, अंति: हृदये च मास्ताम्, श्लोक - ५, (वि. प्रतिलेखक ने दो श्लोकों को एक श्लोक गिना है. ) २. पे. नाम. वीरजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण. पाक्षिक स्तुति, आ. बालचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: स्नातस्याप्रतिमस्य; अंतिः कार्येषु सिद्धिम्, श्लोक-४. ५२०३१, () भोजन छत्तीसी, संपूर्ण वि. १९वी मध्यम, पृ. १, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे. (२५.५x१०.५, १६X६३). पद्मावतीदेवी स्तव, सं., पद्य, आदि: श्रीमङ्गीर्वाणचक्र, अंतिः स्तुता दानवेंद्र, श्लोक-२१. महावीरजिन सुखडी, आ. दयासागरसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: त्रिशला राणी कहै, अंतिः दयासागर० भोजन छत्तीस, गाथा - ३६. ५२०३२. पद्मावती स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २५X११, १५x५२). For Private and Personal Use Only

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