Book Title: Jivan Vigyana Siddhanta aur Prayoga
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 223
________________ २०६ जीवन विज्ञान : सिद्धान्त और प्रयोग नाम किस ग्रंथि से सम्बन्ध स्थान १. शक्ति केन्द्र गोनाड्स (कामग्रंथि) पृष्ठ-रज्जु के नीचे के छोर पर २. स्वास्थ्य केन्द्र गोनाड्स (कामग्रंथि) पेडू (नाभि से चार आंगुल नीचे ३. तैजस केन्द्र एड्रेनल, पेंक्रियाज (आइलैंडस नाभि आफ-लैगरहैन्स ४. आनन्द केन्द्र थायमस हृदय के पास बिल्कुल बीच में ५. विशुद्धि केन्द्र थाइराइड, पेराथाइराइड कंठ के मध्य भाग में ६. ब्रह्म केन्द्र रसनेन्द्रिय जिह्वा ७. प्राण केन्द्र घ्राणेन्द्रिय नासाग्र ८. चाक्षुष केन्द्र चक्षुरिन्द्रिय आंखों के भीतर ९. अप्रमाद क्षोत्रेन्द्रिय कानों के भीतर १०. दर्शन केन्द्र पीच्यूटरी (पीयूष) भृकुटियों के मध्य में ११. ज्योति केन्द्र हाइपोथेलेमस ललाट के मध्य में १२. शांति केन्द्र पाइनियल मस्तिष्क का अग्र भाग १३. ज्ञान केन्द्र बृहन्मस्तिष्क (कोर्टेक्स) सिर के ऊपर का भाग (चोटी का स्थान) चैतन्य केन्द्रों को जागृत करने की सरल पद्धति यह है- आप जिस केन्द्र को जागृत करना चाहें, जिसे सक्रिय बनाना चाहें, उस पर मन को एकाग्र करें। मन जितना अधिक एकाग्र होगा, वह केन्द्र सक्रिय हो जाएगा, जागृत हो जाएगा। हमें किस केन्द्र को जागृत करना है, सक्रिय बनाना है, यह हमारे लक्ष्य पर निर्भर है। यदि आप चैतन्य केन्द्रों पर ध्यान केन्द्रित कर उन्हें सक्रिय बनाते हैं तो प्राणधारा को सीधा प्रवाहित होने का अवसर मिल जाता है, रुकावट दूर हो जाती है। विवेक के केन्द्र और वासना के केन्द्र सारे केंद्र स्थूल रूप में दो भागों में विभक्त हैं- ज्ञान व विवेक के केंद्र और वृत्ति या वासना के केंद्र। ज्ञान के केन्द्र ऊपर हैं, वासना के केन्द्र नीचे हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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