Book Title: Jivan Drushti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 117
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवन दृष्टि मेरा छाता मैं साथ लेकर आया हूँ. मैं विश्वास लेकर आया हूँ. लड़के का कैसा आत्म विश्वास. दस लाख की भीड़ में एक अकेला बालक अपने परमात्मा में विश्वास रख कर प्रार्थना करता है और आप विश्वास करें कि उस बालक के शब्दों में इतनी करूणा थी कि इतनी भयंकर बरसात हुई कि टेम्स नदी में बाढ़ ही आ गई. सालों का दुष्काल एक निर्दोष बालक की पुकार पर समाप्त हो गया. इसीलिए मैं आपसे कहता हूँ कि आज आप श्रद्धा और विश्वास की भावना से ग्रहण करें. उसे अपने जीवन में उतारें. यह श्रद्धा और विश्वास का ही चमत्कार है कि मृत्यु शैया पर अंतिम सांसे गीन रहा व्यक्ति भी भला चंगा हो जाता है. मात्र आपको प्रभु पर श्रद्धा होनी चाहिये. अपनी अन्तर आत्मा में उसके प्रति विश्वास होना चाहिये. इंग्लैण्ड के एक बहुत बड़े मनोवैज्ञानिक डाक्टर की पत्नी को अचानक हार्ट अटैक का दौरा पड़ गया. अस्पताल ले जाने का समय नहीं. करे तो क्या करें, डाक्टर साहब ने क्या किया? उसने प्लास्टिक का एक बटन जो घर में ही पड़ा था, उसे और सोड़ा वाटर की बोतल लेकर बीबी से कहा-ये गोली मेडिकल साइन्स की नयी खोज है. सबसे पहिले यह दवा मेरे पास ही प्रयोग के लिए आई है. इससे तुम निश्चित ही ठीक हो जाओगी. मध्यम रोशनी में वह बटन गोली की तरह दिखा, फिर पति के शब्दों पर श्रद्धा और विश्वास था. पति के शब्दों पर विश्वास कर गोली निगल ली. और उन शब्दों का चमत्कार कि वह थोड़ी ही देर में पूर्ण स्वस्थ. तो मेरा भी यही कहना है कि परमात्मा में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखकर उपासना करें. पूर्ण भक्ति भाव से परमात्मा की आराधना करें. अपनी मर्यादा और आचरण को ध्यान में रख कर परमात्मा के प्रति पूर्ण श्रद्धानत हो जाये, तभी हमें मोक्ष की प्राप्ति होगी. धर्म और सम्प्रदाय : धर्म किसी की बपौती नहीं, प्राणी मात्र का होता है. व्यक्ति चाहे किसी भी संप्रदाय में रहे, धर्म का तत्व एक ही है. सम्प्रदाय एक परम्परा है, व्यवस्था है. जैसे हमारे सेना में अलग अलग रेजीमेन्ट होते है. सिख रेजीमेंट, राजपूत रेजीमेंट, गोरखा रेजीमेंट. किन्तु सभी रेजीमेंट का एक ही लक्ष्य होता है-देश का रक्षण करना है. ठीक उसी तरह सम्प्रदाय अलग-अलग हैं, किन्तु परमात्मा तत्व की प्राप्ति का लक्ष्य एक ही है. वह है धर्म का मार्ग. मैं कहता हूँ कि हिन्दू हो, सिख हो, जैन हो-मुसलमान हो, ईसाई हो, अथवा किसी भी धर्म का या सम्प्रदाय का हो. है तो परमात्मा के सैनिक ही. मौलिक तत्व की दृष्टि से सभी सम्प्रदाय एक हैं. गाय चाहे किसी भी कलर की हो-दूध सबका सफेद ही होगा. उसी तरह सभी धर्मों का जो सत्य है, उससे महावीर का सत्य अलग नहीं है. महावीर ने जो परम सत्य का प्रकाशन किया, वही सभी धर्म की आत्माओं के अन्दर विद्यमान है. मात्र उसे खोजने का तरीका अलग For Private And Personal Use Only

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