Book Title: Jin Pooja Sangraha
Author(s): Ramchandra Gani
Publisher: Rushi Nankchand

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - ॥ अथ श्री जिन पूजा पछतिः ॥ प्रथम श्री मजिन पूजा करने वाला | अच्छे स्थान में स्नान कर चोटी के केश बांध शुछ बस्त्र पहर के उत्तरासंगकर मुख कोश बांधै पीछे इन मंत्रो सें वास क्षेप तीन तीन वार मंत्र के अष्ट द्रव्य को शुरू करै सोही आचार दिनकर से लिखते हैं। RA ने त्रसरूपोहं संसारि जीवः सुवासनः सुमेधः एकचित्तो निरवदार्हत् पूजने निर्व ” निष्पापो जूयासं निरूपद्धवो नूयासं म त्संश्रिता न्येपि जीवा निरवदाहत् पूजने निर्व्यथाः निष्पापाः नूयासुः स्वाहा ॥ ॥ यह मंत्र पढके अपने ललाटमें तिलक करे। ॥अथ जल मंत्र॥ For Private And Personal Use Only

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