Book Title: Jambu Charitra
Author(s): Chetanvijay
Publisher: Gulabkumari Library

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Page 129
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परदेशी राजाकी चौपाइ। १२५ २७ ॥ ढाल २० मी वीर सुणो मोरी विनती पदेशी ॥ वीर कहे सुणो गोयमा, ए चवसी हो सूरियाज देव । महा विदेह क्षेत्रने विष, जन्म लेसी हो जिहां सुख नित मेव ॥ वीर॥ २० ॥ महल सुखासण पालखी, मणि माणेक हो मोती घन सार। सोनो रूपो अति घणो, अवसरसी हो जरीया जंडार ॥ वीर० श्ए ॥ रथ हाथी घोडा अति घणा, दास दासी हो बहुलो परिवार । प्रजुता घणी अन नाखिता, अवतरसी हो तिण कुलमें आय ॥ वीर० ३० ॥ ए जीव गरने श्रवतर्या, मात पिता हो. धरमे दृढ थाय । पूरे मासे जनमसी, जनम तिथी हो करसी बापने माय ॥वीर० ३१॥ पहिले दिन नाल बेदसी, दिखलासी हो तोजे दिन चंद सूर । ठे दिन बीज गावसी, अशुची करसी हो श्ग्यारमें दिन दूर ॥ वीर० ३५ ॥ श्रांगणे गुडल्या चमावसी, बेहु पगला हो हाथे थिरी कराय। जीमण कंवल वधारिवो, बोलावण हो करसो कान विधाय ॥ वीर॥ ३३ ॥ वरस गांव चोटी राखसी, करे मुंडण हो खरचे बहु वित्त । For Private and Personal Use Only

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