Book Title: Jainology Parichaya 05
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Sanmati Tirth Prakashan Pune

View full book text
Previous | Next

Page 57
________________ पाठ 13 भगवं महावीरो अत्थि इहेव भारहे वासे कुंडिणउरे सिद्धत्थो नाम खत्तिय-गणाहिवई / तस्स तिसला नाम देवी / सा य सुसीला सुरूवा य / चेत्त-सुद्ध-तेरसमे सोहणे दिणे सुप्पहाए सा सव्व-गुण-संपन्न पुत्तं पसूया / जया एसो सुह-जीवो तिसलाए गब्भे आगओ, तओ सिद्धत्थ-महारायस्स विहवो पइ-दिणं वड्डइ / अओ तस्स बालस्स वद्धमाणो त्ति नाम कयं ।अप्पणो वीरत्तेण सो त्ति पसिद्धो जाओ। बालत्तणाओ विविहं हिंसाइ-दुक्खं देखिऊण सो संसाराओ विरत्तो जाओ / तीसमे वरिसे महावीरेण मुणि-दिक्खा गहिया / तवं काउं सो वणे गओ / दुवालस-वरिस-पज्जंतं महावीर-मुणिणा उगं तवं कयं / तवग्गिणा सेस-कम्माई डहिऊण भगवं महावीरो केवली होइ / सो इंदियाइं जयइ त्ति जिणो वि कहिओ। गोयमाइ-एक्कारस-माहण-सीसा भगवओ महावीरस्स गणहरा जाया / तस्स समोसरणं गामाणुगाम चलइ / सो सव्वाणं अद्धमागही-भासाए हिओवएसं करेइ - भो भव्व-जीवा, अप्पा कत्ता विकत्ता य / अप्पा मित्तो अमित्तो य / जीवो जहा सुहासुह-कम्मं कुणइ, तहा तस्स सुह-दुक्खं भुंजइ / जीवो सुकम्मेण च्चिय सेट्ठो होइ न जम्मेण / सव्वे पाणा सुहं इच्छंति न दुक्खं / सव्वेसिं जीवियं पियं / नाइवाएज्ज किंचण / अहिंसा परमो धम्मो / अओ भूएसु मेत्ती कायव्वा / ' एवं सव्व-जीवाणं कल्लाण-करं धम्मं कहेंतो भगवं महावीरो पावाउरि गच्छइ / तत्थ सो अस्सिणअमावस्साए सुप्पहाए निव्वाणं गओ। एयं क्ख भगवओ महावीरस्स दिव्वं जीवणं / नमो नमो भगवओ महावीरस्स / स्वाध्याय भगवान महावीर का चरित्र आपने कई बार सुना होगा / बहत परिचित होने के कारण, शिक्षिका की सहायता से इस पाठ का हिन्दी में अनुवाद कीजिए / इसमें से कुछ महत्त्वपूर्ण वाक्य परीक्षा में अनुवाद के लिए पूछे जा सकते हैं।

Loading...

Page Navigation
1 ... 55 56 57