Book Title: Jainattva Kya Hai
Author(s): Udaymuni
Publisher: Kalpvruksha

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Page 47
________________ गुड़-महुए को सड़ाकर, बीयर से व्हिस्की खाद्यान्नों, अंगूरों को सड़ा सड़ाकर बनता है। सड़ाने से मादकता उत्पन्न करने वाले पेय बनते हैं। मादकता में आत्मा अपना आपा ही भूल जाता है। शराब, गांजा, भांग किसी भी रूप में, न्यूनाधिक मात्रा में लेते हैं, फिर वह आदत बन जाती है, छूटती नहीं है। अफीम, अफीम के डोडे या चूरा- पानी में गलाकर लेना, अफीम से बने सभी रसायन, अर्क (अल्कलीन- स्मैक आदि) भयंकर नशीले हैं। तंबाखू खाना, चिलम, सिगरेट, सिगार, बीड़ी किसी भी माध्यम से पीना, मादकता (मूर्च्छा) पैदा करते हैं। मादक पदार्थ मूर्च्छित करते हैं, भयंकर प्रमाद में, कामुकता, कामान्धता में ले जाते हैं। इतने तीव्रतम विकारी भाव से भयंकरतबंध, महापाप का बंध होता है। पीना-पिलाना को फैशन माना-नरक में जाना - उच्च सामाजिकता-प्रतिष्ठा का, धन-ऐश्वर्यशाली बनने, दिखाने का आधुनिक मापदण्ड है। ऊंचा गिना जाने लगा है। सभा-सोसायटी- समारोह में ऊंचा बनने दिखाने हेतु, ऊंची किस्म की, महंगी शराबों का चलन, पीना-पिलाना 'फैशन' हो गया है। कुव्यसन, महापाप, पाप मानना तो दूर, उसे सद्-कार्य, सद्-प्रवृत्ति, अच्छा माना जाने लगा है। आधुनिक भोगवादी शिक्षा, संस्कृति, सभ्यता का भयंकरतम दुर्गुण-दुष्फल है। नरक में ले जाने वाला पाप है। बचो महापाप से - बहाने - अपना उल्लू सीधा करने हेतु, उच्चासीन को पटाने-प्रसन्न रखने हेतु पीना-पिलाना पड़ता है। उच्च कुलीन वर की बरात में आए बरातियों को प्रसन्न रखने, उनके अपने ऐश्वर्य प्रदर्शन में पिलाना पड़ती है। दकियानूसी नहीं, प्रगतिशील, अत्याधुनिक दिखाने के लिए, ऊंची पढ़ाई-नौकरी-उद्योग वालों-वालियों को पीना-पिलाना पड़ती है। कुव्यसन, महापाप तो महापाप है, कभी-कभार पीली, थोड़ी सी पी ली, स्वास्थ्य ठीक रहता है, गरमी रहती है, ऊंची पढ़ाई वाले ऐसा भी कहने लगे हैं, कहने लगी हैं, जैन कुल में जन्मे नवयुवक नवयुवतियों के ये हाल-बेहाल हैं। बचो। महापाप, महाकर्म बंधकारक है। मांस भक्षण- पांच इन्द्रियों वाले प्राणियों, पशु-पक्षियों को मार कर ही मांस मिलता है। मरे हुए का कोई नहीं खाता। दसों द्रव्य प्राण विकसित कर लेने वाला वह प्राणी, उन अनन्त काल में जन्म-मरण कर उन्नति करके आया और कोई जिव्हा लोलुपता में, शरीर को बलवान बनाने के भ्रम में पड़ उसे काटता - कटवाता है तो उसे असह्य पीड़ा होती है। उसे दुखी, महादुखी कर खाने वाले को नरक गति का बंध होता है। मांसाहार में अंडा, मांस, मछली से बना, मिश्रित आहार आता है। 45

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