Book Title: Jainagam Pathmala
Author(s): Akhileshmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 321
________________ नंवी-सुत्तं ... ३११ उत्तरज्झयणाई, दसाओ, कप्पो, ववहासे, . . . निसीह, महानिसीहं, इसिभासियाई, .. जंबूदीवपन्नत्ती, दीवसागरपन्नत्ती, चंदपन्नत्ती, खुड्डियाविमाणविभत्ती, महलियाविमाणविभत्ती, अंगचूलिया वग्गचूलिया, विवाहचूलिया, अरूणोववाए, वरुणोववाए, गरुलोववाए, ' धरणोववाए, वेसमणोववाए वेलंधरोंववाए, देविदोववाए, उढाणसुयं, समुट्ठाणसुयं, नागपरियावणियाओ, निरयावलियाओ,, कप्पियाओ, कप्पवडंसियाओ, पुफियाओ, पुप्फचूलियाओ, वहीदसाओ, आसोविस-भावणाणं, दिद्विविस-भावणाणं, सुमिण-भावणाणं, महासुमिण-भावणाणं, .. तेयग्गी निसग्गाणं एवमाइयाइं चउरासीइ पइन्नगसहस्साई-.. भगवओ अरहओ उसहसाम्मिस्स आइतित्थयरस्स ! तहा संखिज्जाइं पइन्नगसहस्साई-मज्झिमगाणं जिणवराणं । चोद्दसपन्नइगसहस्साई भगवओ वद्धमाणसामिस्स, अहवा जस्स जत्तिया सीसा उप्पत्तिआए, वेणइयाइ, कम्मयाए, पारिणामियाए .. . चाउन्विहाए बुद्धीए उववेया, . तस्स तत्तियाइं पइण्णगसहस्साई । पत्तेअबुद्धा वि तत्तिया चेव । से त्तं कालियं ।। से त आवस्सयवइरित्त। ... से त्त अणंगपविट्ठ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383