Book Title: Jain Veero ka Itihas
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Jain Mitra Mandal

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Page 70
________________ (५) पूछिये तो उस समय राज्य यही करते थे, क्योंकि मानसिंह तो अपने यवन स्वामियों की सेवा में व्यस्त रहते थे। इन्होंने नवाव अब्दुल्ला खाँ से युद्ध किया था। ।' भण्डारी वंश के जैन वीरों के मारवाड़ (जोधपुर ) राज्य सम्बन्धी सेवाओं का हम पहले ही उल्लेख कर चुके हैं। किन्तु मारवाड़ राज्य के दो जैन सेनापति प्रसिद्ध हैं ! ये है (१) इन्द्रराज और (१) धनराज ! ये दोनों वीर पोसवाल जाति के सिंघवी कुल में उत्पन्न हुये थे। इन्द्रराज ने धीकानेर और जयपुर राज्य से लड़ाइयां लड़ी थी! मारवाड़ के महाराज विजयसिंह ने सन् १७-७ में अजमेर को फिर मरहठों से जीत लिया, तो उन्होंने धनराज को वहाँ, का शासक नियुक्त कर दिया। किन्तु इस घटना के तीन-चार वर्ष बाद ही मरहठो ने अजमेर को फिर आ घेरा । मरहठों का जेनरल डीवॉमन नामक फ्रेञ्च सैनिक था। धनराज के पास यद्यपि थोडीसी सेना थी, किन्तु उन्होंने बड़ी चतुराई से शत्र का सामना किया। उधर विजयसिंह ने पाटन युद्ध के बुरे परिणाम के कारण यह हुक्म भेजा कि अजमेर छोड़ कर धनराज चले आयें! भला, एक वीर योद्धा क्या इस तरह शत्र को पीठ दिखा सकता था? कदापि नहीं! परन्तु धनराज राजा का भी उल्लवन नहीं करना चाहता था। श्रतः उसने अपने प्राणों को देश के नाम पर निछावर कर दिया और उसके

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