Book Title: Jain Tattvagyan Ki Ruprekha
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 5
________________ ( ४ ) भी जैन तत्त्वज्ञान की रूप रेखा के अनुसार बहुत ही सुन्दर परिचय दिया है। ___ यह पुस्तक श्रमण संघीय सलाहकार श्री रतन मुनि जी द्वारा प्रेरित सुगम साहित्य माला के अन्तर्गत प्रकाशित हुई किंतु सामग्री जनता के लिए अतीव उपयोगी होने से इसकी अधिक मांग देखकर अब हम अपने संस्थान से इसका द्वितीय संस्करण प्रकाशित करते हैं। आशा है पाठक लाभ उठायेंगे। चुन्नीलाल धर्मावत कोषाध्यक्ष-तारक गुरु जैन ग्रन्थालय उदयपुर

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