Book Title: Jain Tattva Mimansa ki Mimansa
Author(s): Bansidhar Pandit
Publisher: Digambar Jain Sanskruti Sevak Samaj

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Page 410
________________ ३७४ सामग्री के सहयोग से ही हुआ करते है । यानि कार्यरूप परि. णत तो उपादान ही होता है लेकिन उसका वह परिणमन अनुकूल निमित्त सामग्री का सहयोग मिलने पर ही होता है। इसके अतिरिक्त जो भी वस्तु के स्वप्रत्यय कार्य हुआ करते है वे निमित्तो के सहयोग के बिना केवल वस्तु की उपादान शक्ति के आधार पर ही कालक्रम से होते रहते हैं। इतना अवश्य है कि कोई भी कार्य केवल परप्रत्यय नही हुआ करते हैं। यद्यपि इस प्रकरण से जैनतत्त्वमीमासा के प्राय सभी विषय मीमासित हो जाते हैं फिर भी शेष विषयो की मीमासा दूसरे भाग मे यथावश्यक रूप से की जायगी। ।। इति ॥

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