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उपायान-निमित्तसंवाद ४१५. पदि थाहारके योबसे अपसमें सबबीक जीते है तो संसारवासी कोई भी जीव नहीं मरता ॥२५॥ निमितको बोरखे प्रश्न
वासस सूर सोम मणि, अग्नि के निमित्त लखें ये नैन। ।
अंगार में कित गयो उपावान दुग देन ॥२६॥ ये नेत्र सूर्य, चन्द्रमा, मणि ओर अतिमिलिलो खाने हैं। यदि बिना निमित्तके देखा जा सकता है तो दृष्टि प्रदान करनेवाला उपासना अन्धकारमें कहाँ चला जाता है ॥२६॥
उपादानकी ओरते उत्तर सुर सोम मणि अम्नि जो करे अनेक प्रकाश ।
नैनशक्ति बिन ना लखे अंधकार सम भास ॥२१॥ सूर्य, चन्द्रमा, मणि और अग्नि अनेक प्रकारका प्रकाश करते हैं तथापि देखनेकी शक्तिके बिना विखलाई नहीं देता, सब अन्धकारके समान भासित होता है ||२७||
निमितको बोरसे प्रश्न किन जब निh कहै निमित्त वे जीव को मो बिन जगके माहिं । ति
सबै हमारे वश परे हम बिन मुक्ति न जाहिं ॥२८॥ निमित्त कहता है कि जगत्में वे जीव कौन हैं जो मेरे बिना हों? सब जीव हमारे वश पड़े हुए हैं । मेरे बिना मोक्ष भी नहीं जाते ॥२८॥
उपासनकी मोरसे उत्तर उपादान कह रे निमित्त ! ऐसे बोल म बोल ।
तोको तज निज भजत है ते ही करें किलोल ॥२९॥ उपादान कहता है कि हे निमित्त ! ऐसी बाणी मत बोल । जो तुझे त्यागकर अपने आत्माका भवन करते हैं वे ही किलोल करते हैं-1 अनन्त सुखका भोग करते है ॥२९॥ निमितकी अोरते प्रान
Mos कह निमित्त हमको तजे ते कसे शिव जामाला .. . पंच महावत प्रगट है और इ. क्रिया विषयात ॥३०॥ की निमित्त कहता है कि जो हमारा त्यागकर देते हैं के मोम कैसे जा .
Amarpajamaar