Book Title: Jain Tattva Darshan Part 03
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 50
________________ 16. कहानी विभाग A. रात्रि भोजन त्याग एक सियार ने सागरसेन मुनिराज के पास रात्रि भोजन का त्याग कर दिया। एक दिन वह सियार बहुत प्यासा था, बावड़ी में पानी पीने के लिये उतरा। वहाँ अंधेरा दिखने से रात्रि समझकर ऊपर आ गया। ऊपर प्रकाश देखकर फिर नीचे गया। नीचे बार-बार अंधेरा दिखने और रात्रि में पानी का त्याग होने से अत्यंत प्यास से वह मर गया। इस व्रत के प्रभाव से वह सियार मनुष्य गति में प्रीतिकुमार नामक श्रावक हो गया। उसी भव में दीक्षा लेकर कर्मों से मुक्त हो गया। देखो बच्चों ! रात्रि भोजन करने से मनुष्य उल्लू, बिल्ली आदि पशु बन जाते हैं और यह पशु, प्यास सहन करने से, नियम पालन करने से, मनुष्य क्या भगवान बन गया। इसलिए हम सबको रात्रि भोजन त्याग कर देना चाहिये। प्रश्नावली- 1) सियार मरकर कहाँ गया? 2) रात्रि भोजन करने से क्या गति होती है ? 3) रात्रि भोजन का फल बताओ? 48

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