Book Title: Jain Subodh Gutka
Author(s): Chauthmal Maharaj
Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
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(३९०)
जैन सुबोध गुटना।
नम्बर ४२१
[तज--पूर्ववत् । बेटियाँ वाले छे उसवार, ऋषभजी केरी बेटियाँ बालरे। बटिया बोले छ उसबार, बापुजी केरी बेटियाँ बोलेरे ।।टेक ॥ मारा प्रभु के शत कुंबरा की जोड़ियाँ, सौ बचे पाच्या छे भाग ! हाँरी बेनी सौ बचे पाब्या छे भाग, ऋषभजी केरी बेटियाँ बालेरे ॥ १ ॥ मोटो. चाहे छ षट् खण्डनी सायबो, नानो न माने छे भान । हारी बेनी नानो न माने छे आन, ऋषभजी केरी बेटियाँ बोलेरे ।। २ ।। मोटो कहे छ मानो प्राण हमारी, नानो करे छे इन्कार । हाँरी बेनी नानो करे छ इन्कार, ऋषभजी करी बेटियाँ बोलेरे ॥३॥ मोट करी छे बेन ! युद्धनी तैयारी, नाने गृही छे तल-. वार । हाँरी बेनी नाने गृही छे तलवार, ऋषभजी केरी बेटियों वालेरे ।। ४ ।। मोटे उपाड़ी मुष्टो बन्धुने मारवा, नाना ने पुण्य रखवाल ! हारी येना नाना ने पुण्य रखवाल, ऋषभजी केरी बेटियाँ बोलेरे ॥ ५॥ मोटाने प्रायः शकइन्द्र समझावियो, नाने लिनो है संयम भार । हारी बेनी नाने लिनो है संयम - भार, ऋषभजी केरी बेटियाँ बोलेरे।। ६ ।। मोटो रमे छ राज रंगनी वाडिमां नानो.
डूंगरड़ा नी ढार । हाँरी बेनी नानो ढूंगरड़ा नी दार,ऋपभ... जी केरी बेटियाँ बोलेरे ॥ ७॥ चौथमल कहे इगतपुरी

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