Book Title: Jain Shastra sammat Drushtikon
Author(s): Nathmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 53
________________ पवित्र प्रेरणा जनताका यह सहज कर्तव्य है कि विरोधी प्रचारके आधारपर वह अपनेको भ्रान्त न बनाये। तेरापन्थके दृढ संगठन, मजबूत आचार और जन-कल्याणकारी कार्यक्रमका निकटसे अध्ययन करे और आचार्य श्री तुलसीगणीका सत्संग कर उनके द्वारा प्रवर्तित अणुव्रतीसंघके नियमोंको जीवनमे उतारकर नैतिक प्रतिष्ठाकी पुनः स्थापना करें।

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