Book Title: Jain Ratnakar
Author(s): Keshrichand J Sethia
Publisher: Keshrichand J Sethia

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Page 133
________________ जैन रत्नाकर १२३ धर्म गान (तर्ज-विजयी विश्व तिरङ्गा प्यारा) अमर रहेगा धर्म हमारा। जन जन मन अधिनायक प्यारा । विश्व विपिन का एक उजारा, असहायों का एक सहारा, सव मिल यही लगावो नारा । अमर रहेगा धर्म हमारा |॥ १॥ धर्म धरातल अतुल निराला, सत्य अहिंसा स्वरूप वाला, विश्व मंत्री का विमल उजाला, सत्पुरुषों ने सदा रुखारा । अमर रहेगा धर्म हमारा ॥२॥ व्यक्ति व्यक्ति में धर्म समाया, जाति पांति का भेद मिटाया, निर्धन धनिक न अन्तर पाया, निसने धारा जन्म सुधारा ।। अमर रहेगा धर्म हमारा ॥३॥राज-नीति से पृथक सदा है, गृह-समाल से धर्म जुदा है। मोक्ष-साधना लक्ष्य यदा है, पर प्रभाव सब पर इकसारा ॥ अमर रहेगा धर्म हमारा ॥४॥

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