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चनवास कारण
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बहरे तवील
गाना नं० ३०
भर्म ।
चला । नर्म ॥
कौशल्या का लक्ष्मण से प्रश्नोत्तर | बेटा तू भी चला सीयाराम गये । हो उदय कौन से आये मेरे कर्म ॥ मुझे छोड़ अकेली इधर तुम चले । पीछे पति देव धारेगे संयम धर्म ॥ पीछे किसका सहारा मुझे है बता कैसे थामू जिगर है मुझे यह रामचन्द्र के सग क्यो तू बन मे नहीं होता है कहने से तू भी लक्ष्मण - माता क्षत्राणी होकर तू कायर बने ! यह समझ तेरी भी मुझको भाई नहीं । भरत शत्रुघ्न दोनो तेरी सेवा मे, राजधानी व प्रजा पराई नही । यह मालूम तुझे बस बिना राम के, मेरे जीने की कोई दवाई नही । कैसे तात प्रतिज्ञा हो पूरी बता, तैने गौरव मे दृष्टि जमाई नहीं || दोहा (लक्ष्मण)
क्षमा दोष सब कीजिये, चरण नमाऊं माथ । जाऊँगा मानू नहीं, मात भ्रात के साथ || क्रोड़ कहो चाहे लाख मेरा दिल ही वनवास के अन्दर है श्रीराम कलंदर समझ मात, लक्ष्मण तो पालतू बन्दर है || दिल डोरी है पास राम के, मरजी जिधर घुमायेंगे ! एक बिना राम के प्रारण मात मेरे तन मे नहीं पावेंगे ॥
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