Book Title: Jain Katha Sagar Part 2
Author(s): Shubhranjanashreeji
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 141
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अंग्रेजी माध्यम से पढ़नेवाले अपने लाड़ले को जैन धर्म के प्राथमिक ज्ञान एवं संस्कार देने में कठिनाई महसूस करनेवाले सभी माता-पिता- एवं वड़ीलों के लिए अत्यंत आनंददायी समाचार अपने लाड़ले के लिए Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुनि श्री निर्वाणसागरजी म. द्वारा लिखिति-संपादित विश्व में सर्वप्रथमबार प्रकाशित होने वाले अद्वितीय पुस्तक प्रतिक्रमणसूत्र सह विवेचन (भाग १,२) (हिंदी - अंग्रेजी) pratikramana sūtra with explanation (part 1,2) (Hindi - English) आज ही वसाएं एवं चिंता मुक्त वने! जिसमें आप पाएंगे : मूल सूत्र, शब्दार्थ, गाथार्थ, विशेषार्थ, भावार्थ, स्तवन, स्तुति, सज्झाय, गुरुवंदन, चैत्यवंदन, देववंदन, सामायिक, देवसीअ - राइअ प्रतिक्रमण एवं पच्चक्खाण पारने की विधियाँ, प्रतिक्रमण की क्रियामें उपयोगी विविध मुद्राओं का परिचय ४० रंगीन चित्रो द्वारा, एवं अन्य अनेक विशेषताओं से युक्त ! और हाँ! सभी कुछ हिन्दी एवं अंग्रेजी में एक साथ !!! भाग १ एवं २ मूल्य १२५-०० + २५०० रू. (रजि. डाक खर्च के) कोबा डाइजेस्ट प्रकाशक :- श्री अरूणोदय फाउन्डेशन C/o Chandrakantbhai J. Shah 2 (079) 6565329. 5/A/3 Arjun Complex, Satelite Road, Ahmedbad-380015 ( Gujrat [India ]) For Private And Personal Use Only

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