Book Title: Jain Jagat ke Ujjwal Tare
Author(s): Pyarchand Maharaj
Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam

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Page 10
________________ निवेदक इस वीसवीं शताब्दी में हमारे देश में अगणित पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं और दिन प्रतिदिन अधिकाधिक संख्या में प्रकाशित होती ही जा रही हैं। किन्तु ऐसे सत्साहित्य की अव तक भी बड़ी भारी आवश्यकता रही है जिस से मानव समाज अपने जीवन का उत्कर्ष कर सके । मानवजीवन की उन्नाने के लिये महापुरुषों की जीवनियां सब से अधिक उपयोगी होती हैं । हमारे समाज में महापुरुषों के जीवन चरित्रों की कमी नहीं हैं । किन्तु अभी तक कोई ऐसी पुस्तक दिखाई नहीं दी कि जिसमें भूतकाल के महापुरुषों के तप, त्याग और बलिदान की रूप-रेखा संक्षेप और सरलातिसरल भाषा में सम्मिलित में अंकित हो । इसी भाव की पूर्ति के लिये पूज्य श्री हुक्मीचंदजी म० के सम्प्रदाय के पाटानुपाट पूज्य श्री मन्नालालजी महाराज के पट्टाधिकारी वर्तमान पूज्य श्री खूबचन्द्रजी म० के सम्प्रदाय के प्रसिद्धवक्ता जैन दिवाकर पं० मुनि श्री चौथमलजी महाराज के सुशिष्य साहित्यप्रेमी गणिवर्य पं० मुनि श्री प्यारचन्दजी महाराज ने यह " जैन-जगत् के उज्ज्वल तारे " नामक पुस्तक लिखी है । और उन्हीं की कृपाकटाक्ष से हम इस पुस्तक को प्राप्त कर के जनता के हाथों सौंप रहे हैं । अतएव हम मुनि श्री के पूर्ण आभारी हैं । इस पुस्तक में तीस महापुरुपों की कथाएँ हैं। सभी कथाएँ तप, त्याग और बलिदान की भावनाओं से ओतप्रोत हैं । हमें आशा है कि प्रेमी पाठक इन कथाओं को पढ़कर इनका अनुसरण करेंगे और कल्याण - साधना में तत्पर होंगे । -प्रकाशक

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