Book Title: Jain Divakar Smruti Granth
Author(s): Kevalmuni
Publisher: Jain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar

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Page 674
________________ : ६०१ : उदार सहयोगियों की सूची | श्री जैन दिवाकर- स्मृति-ग्रन्थ स्व० भंवरीलाल जी बैद (खंडेला) को स्मृति में स्व० श्रीमान भंवरीलाल जी बैद खंडेला के निवासी थे। आप धर्म में अच्छे श्रद्धालु थे। तपस्याएं भी करते थे। कई अठाइयां भी की थीं। प्रत्येक शुभकार्य में उदारतापूर्वक सहयोग दान भी करते थे। आपके चार सुपुत्र हैं-श्री ताराचन्द जी, श्री शांतिलाल जी, श्री निहालचन्दजी तथा श्री ज्ञानचन्द जी। चारों ही सज्जन पिताजी के आदर्शों का अनुसरण करने वाले हैं। देहली में जवाहरात का व्यवसाय करते हैं । स्व. पिताजी की स्मृति में चारों बन्धुओं ने सहयोग दिया है । स्व० हजारीलाल जी बैद (खण्डेला) की स्मृति में खंडेला निवासी श्रीमान हजारीलाल जी बंद बड़े ही धर्म प्रेमी और तपस्वी श्रावक थे। आपने जीवन में अनेक तपस्याएँ की । विशेष रूप में अठाई तप की तपस्याएँ । तपस्वी होने के साथसाथ आप उदार दानशील वृत्ति के थे। आपके सुपुत्र श्री वंशीलाल जी बैद भी आपकी तरह उदार और सामाजिक तथा राष्ट्रीय सेवा कार्यों में सदा भाग लेते हैं, और अपना योगदान भी करते हैं। देहली में आपका जवाहरात का व्यवसाय है। स्व० श्रीमती विनयकुमारी राक्यान, दिल्ली आप समाज सेवी श्री छगनलाल जी राक्यान की धर्मपत्नी थी। बचपन से ही धार्मिक संस्कारों में पली थी अत: धार्मिक भावना, दया, तपस्या आदि के शुभ संस्कार आपमें गहरे थे। आपके दो पुत्र श्री आदीश्वरकुमार जी एवं भी शांतिकुमार जी हैं। आपकी पुत्री श्रीमती मंजकुमारी जी हैं। श्री आदीश्वर कुमार जी आपकी मांति ही धर्मप्रेमी और समाज सेवी व्यक्ति हैं। आप अनेक समाज-सेवी संस्थाओं से सम्बद्ध है। आप दीन-असहायों की सहायता करने में सदा आगे रहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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