Book Title: Jain Dharmamrut
Author(s): Siddhasen Jain Gpyaliya
Publisher: Siddhasen Jain Gpyaliya

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Page 37
________________ विषयों का एकपने ग्रहण करने वाला ) ?-व्यवहार ( संग्रहनय से ग्रहण किये हुए पदार्थो का विधि पूर्वक भंद करे ) ३.-व्यवहार नय ( उपनय ) १-मद्भुत व्यवहारनय ( एक अखद द्रव्य को भेद रुप विषय करने वाला ज्ञान ) २-असद्भुत व्यवहारनय (मिले हुये भित्र पदायों के अभेद रुप ग्रहण करने वाला ) :-उपचरित व्यवहारनय ( अत्यन्त भिन्न पदाधों को अभेद रुप ग्रहण करने वाला) ३-अविरति १-अनंतानु बधि नपायोदय जनित 2-अप्रत्याख्याना वरण कपायोदय जनित -प्रत्याख्याना वरण कषायोदय जनित ३-म्यान एक २ लाख योजनके१.-जम्बूदीप . २-सातेवं नरक का पहला इन्दक पटल ३- सर्वार्थ सिद्ध विमान --निकट मन्च २-दूर भव्य

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