Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 08
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: 

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Page 9
________________ मम्नाxxERIESमालxGExer - = = करकापमा / मायाय मागा गिरधर्म की प्रभाषमा कमान समी पणमा भारम पपा मार्ग में महापागातका बापि मासमर शाम पापहरांब सम्पकमारियन प्रविमरी बनाम पि में सर्व प्रकार संसार का साम के निरातितर सापांच महामत पाबन पातामा विषायोलमा ! मेराबानि परम पर होगा बर कि मैं भातिर समय में माधुपा महामता भाषा पारा मतो म्पारा प्रतिमानों में मोt प्रतिम प्रक्षिकम माविचार मनापार जामते पणापत पोपमा होणारी प्रायोचमा मिना पो र प्रापनियम पुर पाराविक होम पार गति रात्री बीच घोषि से सम्म समापना हानोक परनाक मापी मुखामियान परीमता पा मोर मुख मा प्रामुला मा समाधि मार में अबराब मत परे शरीर से ममत्व भाव इयररित पत्र में मम्स हेगा। दिनराज ! मेरो मन्तमय पर भाषण सस हो ही भाप से रोगों का पोष मत मस्तक हो पारंपार प्रार्थना है। घों यान्ति ! पारिता ! शान्तिः | = तन्नान = = B ee -SEROETTE

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