Book Title: Jain Darshan ki Ruprekha
Author(s): S Gopalan, Gunakar Mule
Publisher: Waili Eastern Ltd Delhi
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182
आचार्य 163
आचार्य तुलसी 170,172,174 आत्मशुद्धि 191
आजीवक 17
आत्मा 66,77-80,91, 96-100,
116,117,159,166
आभिनिबोधिक 85
आशंका 74
आशंका प्रतिषेध 74
आश्रव 155,157, 158,161 आस्तिक 36,37
इन्द्रभूति 98,99,118
इन्द्रिय अनुभूति 49
इन्द्रियातीत ज्ञान 91
इन्द्रियाभास 49
ईलियट चार्ल्स सर 4,8,140,147 ईश्वर 3, 11, 34-39,115,116,
117
ईश्वरत्व 34,164
ईश्वरवादी 36
ईहा 63
उत्पाद 111
उत्सर्पिणी 9
उद्यम 37
उपनय 73
उपनिषद 8,102, 114
उपमान 43,47,67,68
उपयोग 61, 81, 85, 97 उपलब्धि 85
उपशम श्रेणि 168
उपाध्याय 162, 163 उपाध्ये 164
उपासक 30
उमास्वामि 46,57,65, 83, 93,111
ऋग्वेद 35
ऋषभ 12, 13, 14,27 औपशमिक 167 afaeम 13
कर्म 35,37,39, 46, 65, 66, 80,
86,92,96,101-103,120, 121,123,128,151-154, 156-160,165,167 अघाति 169 अन्तराय 153,169 असत वेदनीय 88, 153 दर्शनावरण 52,65,153,169
आठ मुख्य प्रकार 153
ज्ञानावरण 52,65, 66, 169 मोहनीय 87, 88,169
प्रारब्ध 160
सत वेदनीय 88
संचित 160 वेदनीय 87,169
आवरण 52
जैन दर्शन
कल्प 9
कषाय 87,90, 158, 168
कारण 38
37,91,109,110,130,132
काष्ठासंघ 25
कुन्दकुन्दाचार्य 61
कुमति 85
कुश्रुत 85
केर्न 9
केवल ज्ञान 44,46, 47,48, 52, 54,
64-66,69,70,79,85,
91,169
केशी 14,17,32 कोलक 15

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