Book Title: Jain Agam Granthome Panchmatvad
Author(s): Vandana Mehta
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 386
________________ ग्रंथ-पञ्जिका [जो ग्रन्थ और ग्रन्थावलि इस शोध हेतु उपयोग में ली गई हैं तथा इसके अतिरिक्त मैंने किसी कारण से इस शोध हेतु जिन ग्रन्थों को उपयोग में लिया और देखा है। उन सबका इस ग्रन्थ पञ्जिका में समावेश किया गया है।] 1. मूल-स्रोत : साहित्यिक ग्रन्थ अनुवाद संपादन इत्यादि (a) जैन आगम और उसके व्याख्या ग्रन्थ अणुओगदाराई-संपा. आचार्य महाप्रज्ञ, मूलपाठ, संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, तुलनात्मक टिप्पण तथा विविध परिशिष्टों से युक्त, जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं, राजस्थान, 1996. आचारांगसूत्रं सूत्रकृतांगसूत्रं च-संपा. मुनि जम्बूविजयजी, भद्रबाहुस्वामी विरचित नियुक्ति- शीलांकाचार्य विरचित टीका समन्वित, मोतीलाल बनारसीदास, इन्डोलॉजिक ट्रस्ट, दिल्ली, 1978. आचारांगसूत्रं-संपा. युवाचार्य मिश्रीमलजी, मूलपाठ, हिन्दी अनुवाद-विवेचन टिप्पण-परिशिष्ट युक्त, श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, खण्ड 1-2, वि.सं. 2037 (= ई.सन् 1980). आचारांगभाष्यम्-भाष्यकार आचार्य महाप्रज्ञ, मूलपाठ, संस्कृत भाष्य, हिन्दी अनुवाद, तुलनात्मक टिप्पण, सूत्र भाष्यानुसारी, विषय विवरण, वर्गीकृत विषयसूची तथा विविध परिशिष्टों से समलंकृत, जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं, राजस्थान, 1994. आवश्यकसूत्र-संपा. मुनि मधुकर, श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, 1986 । आवश्यकचूर्णि-श्री ऋषभदेवजी-केसरीमलजी श्वेताम्बर संस्था, रतलाम, भाग-1 (पूर्व भाग), 1928, भाग-2 (उत्तरभाग), 1929. आवश्यकनियुक्ति-संपा. समणी कुसुमप्रज्ञा, जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूँ, राजस्थान, खण्ड-1, 2001.

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