Book Title: Jagad Guru Hir Nibandh
Author(s): Bhavyanandvijay
Publisher: Hit Satka Gyan Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 132
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११८ तप जप संयम साधता रे लाल, करने सिद्धि हजुर सुखकारी रे। श्राविका चम्पा आदरे रे लाल, तप छमासी रसाल गुरुधारी रे ॥२॥ नामे श्री हीर सोहामणा रे लाल, युग प्रधान कहेवाय मनोहारी रे। चरणे भूमि पावन करे रे लाल, देशना अमृत धार हितकारी रे ॥ ३ ॥ सुणी सजी स्वागत करे रे लाल, अकबर खुशियां मनाय रंगदारी रे। नगर में जय ध्वनि गुजवे रे लाल, घर घर मंगल माल नरनारी रे ॥ ४ ॥ राजा राणा सहु नमे रे लाल, प्रण में मंत्रीश्वर चित्तधारी रे। बीरबल सुबा सहु नमे रे लाल, नमे अबुलफजल मदटारी रे ॥५॥ देशना गुरुजीनी सुणी करी लाल, हुआ तत्त्वना जाण दुःखहारी रे। पशु पक्षी ने छोड़ीया रे लाल, छोड़े केदी कुटेव गुणधारी रे ।। ६ ।। शाही दया पाले सदा रे लाल, लिखे फरमान छमास खुशीयाली रे। जग गुरु पद आपे भलो रे लाल, अअबर सभा मझार बुद्धिशाली रे ॥७॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 130 131 132 133 134