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हरीतक्यादिवर्गः। शीतल और हलका होता है, और पक्कातिसार, रक्तपित्त, कफरोग, तथा कंठरोग, इनकोंभी हरनेवाला है ॥ १७० ॥
अथ तेजवतीनामगुणाः. तेजस्विनी तेजवती तेजोबा तेजनी तथा । तेजस्विनी कफश्वासकासास्यामयवातहत् ॥ १७१ ॥
पाचन्युष्णा कटुस्तिक्ता रुचिवह्निप्रदीपिनी । टीका-तेजस्विनी १, तेजवती, २ तेजोहा ३, तेजनी ४, ये चार तेजवतीके नाम हैं. तेजवती कफ, श्वास, कास, मुखके रोग, इनको हरनेवाली होती है ॥१७१॥ और पाचन, गरम, कडवी, तिक्त, रुचि तथा वह्निकों दीपन करनेवाली कही है.
कटभी(मालकांगनी)नामगुणाः. ज्योतिष्मती स्यात् कटभी ज्योतिष्का कांगनीति च॥१७२ पारावतपदी पण्या लता प्रोक्ता ककुन्दनी । ज्योतिष्मती कटुस्तिक्ता सरा कफसमीरजित् ॥ १७३ ॥
अत्युष्णा वामनी तीक्ष्णा वह्निबुद्धिस्मृतिप्रदा। टीका-ज्योतिभती ?, कटभी २, ज्योतिष्का ३, कांगनी ४ ॥ १७२ ॥ पारावतपदी ५, पण्या ६, ये छ मालकांगनीके नाम हैं. इसकी लता ककुन्दनीनामसें प्रसिद्ध है. ये मालकांगनी कडवी है, तिक्त है, सर है, कफ तथा वातकों जीतनेवाली है ॥ १७३ ॥ और बहुत गरम है, वमन करानेवाली है, तीखी है, और आग्नि, बुद्धि, तथा स्मृति, इनको बढानेवाली है.
अथ कुष्ट(कूट)नामगुणाः. कुष्टं रोगाह्वयं वाप्यं पारिभव्यं तथोत्पलम् ॥ १७४ ॥ कुष्टमुष्णं कटु स्वादु शुक्रलं तिक्तकं लघु ।
हन्ति वातास्त्रवीसर्पकासकुष्ठमरुत्कफान् ॥ १७५॥ टीका-कुष्ट १, रोगाह्वय २, वाप्य ३, पारिभव्य ४, उत्पल ५, ये पांच कूटके नाम हैं ॥ १७४ ॥ कूट गरम, कडवा, मधुर, शुक्रको बढानेवाला, तिक्त
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