Book Title: Gyanarnava Prakaranam Gyanbindu Prakaranam Savivaranam
Author(s): Yashovijay Gani
Publisher: Gulabchandra Devchandra

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Page 14
________________ R Shindra Acharya ShalkalasssagarmanGyanmantire PHOTORRHO जह उम्गहाइसामा २.५ ६५ २|इहवत्युमत्यवयणा ३१६६८ ११ | विवरीयवत्युगहणे ३३० ७१ र अठ्ठावीसहभेयं सुय ३०६ ६५ अहवा ण सव्वधम्मा ३१७६८ १२ | मइ सो वि तस्स धम्मो ३३१ ७१ १९ जं बहुबहुविहखिप्पा ३०७ ६५ १८ जड़ एवं तेण तुह ३१८६८ १९ जोगगाजोगविसेस ३३२ ७१ २. नाणासद्दसमूह ३०८ ६६ १५ एग जाणं सव्व ३२०६९ १ काले सिक्खइ नाणं (कृत्ति) १७१ खिप्पमचिरेण तं चिय ३०९ ६६ जे संसयाइगम्मा ३२१ ६९ १२ काले य भत्तपा २७१ २५ एत्तो च्चिय पढिववर्ख ३१० ६६ पज्जायमासयन्तो ३२२ ६९ १३ एवं समायरन्तो ३ ७१ २५ | निस्सिये विसेसो वा ३१० ६६ २० निण्णयकाले विजओ १२३ ६९ १८ सयलसुरासुरपणमिय , ४ ७१ एवं बज्झन्भंतर ३११६७ कट्ठयरं वन्नाणं ३२४ ६९ २० | सत्तटुभवाहण ,१७१ इह संसयादणंत ३१२६७ १. अहवा जहिंदनाणो ३२५ ७० १५ तत्थ य अरजम्मणमरण,, ६ ७१ नणु संदि संसय ३१३६७११ तुल्लमिणं मिच्छस्स वि ३२६ ७. १९ उग्गहो एक सभयं ३३३ ७२ इह सज्झमोमाहाइ ३१४ ६७ २३ | निण्णओवओगे वि ३२७ ७. २. अत्थोग्गहो जहन्नो ३३४ ७२ तहविणाम अन्भुव ३१४ ६८१. अहवा नह सुयनाणा ३२८ ७. २८ सोत्ताइणं पत्ताइ ३३५ ७२ वत्थुस्स देसगमग ३१५ ६८ १० एसा सम्माणुगया ३२९ १ ३ पुढे सुणेइ सई ३३६ १२ ODAEBOB OPERABARI For Private And Personal use only

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