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गाथा परम विजय की
पर जम्बूकुमार ने कैसा जादू किया। कोई जादू का ऐसा डंडा घुमाया कि सारी चिन्तनधारा बदल गई। जो एकदम रागात्मक दृष्टिकोण था वह कुछ ही घंटों में वैराग्य में बदल दिया। सब वैरागी बन गये। ___ कन्याएं कह रही हैं-'स्वामी! हम अपने मन में मोहक कल्पना, भावना और विचार लेकर आई थी। हमारे मन में एक अहं था कि हम स्वामी के मानस को बदल देंगी, उन्हें अनुरक्त बना लेंगी। पर पता नहीं क्या हो गया? अब तो हमें लगता है कि वह हमारा झूठा अहं था। अब यह संसार भी कोई बहुत अच्छा नहीं लग रहा है। हमारी भी भीतर की आंख खुल गई है।' _ 'स्वामी! भीतरी आंख खुल जाए तो फिर क्या शेष रहता है? यह बाहर की आंख तो खुली थी, आपने भीतर की आंख भी खोल दी है। इससे बड़ी क्या उपलब्धि होती है?' ___ एक भिखारी का लड़का चौराहे पर बैठा भीख मांग रहा था। छोटे लड़के को इस रूप में कोई देखता तो करुणा जाग जाती, वह उसको कुछ न कुछ दे देता। एक दिन एक आदमी बोला-'ओ बच्चे! कोई भी तुम्हारे पास आता है तो तुम पैसा मांगते हो। अभी तुम छोटी अवस्था में हो। तुम्हारे आंख नहीं है, अंधे हो तो किसी से आंख क्यों नहीं मांग लेते?'
उस लड़के ने एकदम गंभीर भाषा में कहा-बाबूजी! मैं पैसा इसलिए मांगता हूं कि पैसा तो सबकी जेब में रहता है। लोग पैसा दे देते हैं, पर आंख है किसके पास, जो मैं मांगू?' ___इस दुनिया में शायद आंख से बढ़कर कोई वरदान नहीं है। आंख के सहारे ही तो हमारा काम चलता है। बाहर की आंख का भी इतना मूल्य है। यदि भीतर की आंख खुल जाए तो कहना ही क्या? बाहर की
आंख से हम बाहरी दुनिया को देखते हैं। भीतर की आंख खुल जाए तो न जाने कितनी बड़ी सचाई हमारे सामने आती है।
सब कन्याएं बड़ी कृतज्ञता के स्वर में अपनी भावनाएं प्रस्तुत कर रही हैं। अब कोई औपचारिकता नहीं है, कोई बनावटी बात नहीं है, बहुत भावविभोर स्वर में बोल रही हैं-'कुमार! तुमने हमारी आंख खोल दी, सचाई दिखला दी। हमें यह अनुभव हुआ दुनिया में कोरा राग होना ही अच्छा नहीं है। राग की आंख से हम देखते हैं तो दुनिया का एक स्वरूप हमें दिखाई देता है। वैराग्य की आंख से देखना शुरू करते हैं तो वह पहलू सामने आता है जो अब तक ओझल था। हम नहीं जानती थी कि सचाई क्या है। अच्छा खाना-पीना, मौज-मस्ती करना, इंद्रियों को पोषण देना यह जीवन का सार मान रखा था। लेकिन स्वामी! आज....'
विहिता निर्विषा नागाः गजाः शक्तिविवर्जिताः।
बलमुक्ताः भटाः येन, तस्याऽहं कुलबालिका।। एक लड़की जा रही थी। किसी ने पूछ लिया-'बोलो, तुम किसकी लड़की हो?'
वह बोली-'विहिता निर्विषाः नागाः'-मैं उसकी लड़की हूं जिसने जहरीले सांप को निर्विष बना दिया। गजाः मदविवर्जिताः-मैं उसकी लड़की हूं जिसने हाथियों को मदरहित बना दिया। बलमुक्ताः भटाः येन-मैं उसकी लड़की हूं, जिसने महान सुभटों को बल रहित कर दिया।' ___ वह व्यक्ति कुछ समझ नहीं सका। उसने सीधा प्रश्न पूछा था किन्तु उस कन्या ने एकदम काव्य की भाषा में उत्तर दिया। वह बोला-'मैं नहीं समझ पाया कि तुम किसकी लड़की हो?'
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