Book Title: Gatha Param Vijay Ki
Author(s): Mahapragya Acharya
Publisher: Jain Vishvabharati Vidyalay

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Page 15
________________ आया। जम्बूकुमार के सामने आते ही सम्राट श्रेणिक खड़ा हो गया। एक अनजान युवक के सामने सम्राट खड़ा है यह भी कम आश्चर्य की बात नहीं थी। सम्राट श्रेणिक ने अपना आधा आसन खाली कर दिया। आधे आसन पर स्वयं बैठा, आधे आसन पर जम्बूकुमार को बिठाया। कुमार बैठ गया। न कोई हर्ष, न कोई अहंकार। सहज स्वाभाविक रूप में बहुत विनम्र मुद्रा में वह बैठा था। श्रेणिक बोला-'कुमार! तुम धन्य हो। तुमने इस दुर्दान्त हाथी को वश में कर लिया।' जम्बूकुमार-सम्राटप्रवर! कौन सा बड़ा काम किया मैंने।' ___ 'हाथी को वश में किया है तुमने। क्या यह बड़ा काम नहीं है? जिसे हमारे वीर सैनिक नहीं कर पाए, वह काम तुमने कर दिखाया।' 'सम्राटप्रवर! यह बिलकुल बड़ा काम नहीं है। बड़ा काम तब होगा जब मैं अपनी पांच इंद्रियों के पांचों हाथियों को वश में करूंगा। यह तो बहुत साधारण बात है। हाथी को वश में करना कौन सी बड़ी बात है? जब इंद्रियजित् बन जाऊंगा, तब मैं वास्तव में विजयी बनूंगा। परम विजय की ओर मेरा प्रस्थान होगा।' _ 'सम्राटप्रवर! मैं आपको एक घटना सुनाता हूं। अतीत में एक बहुत शक्तिशाली सम्राट् हुआ है। वह आए दिन दूसरे राज्यों पर आक्रमण करता। राजाओं को पराजित कर देता और विजयी बन जाता। आसपास के सारे राजाओं को उसने जीत लिया। उसके मन में एक लालसा थी-मैं सर्वजित् बनूं, सबको जीतने वाला गाथा परम विजय की उसने बहुत सारे राजाओं को जीत लिया। कुछेक राजा बचे। एक दिन युद्ध में जा रहा था। जाने से पूर्व माता को नमस्कार किया। मां ने सामने नहीं देखा। पुत्र ने सोचा-यह क्या? मां मुझे रोज आशीर्वाद देती है। मां के आशीर्वाद से मैं सफल होता हूं। आज मां ने मुंह फेर लिया। क्या बात है? वह खड़ा रहा, बोला-'मां! मुझसे कोई अविनय हुआ है? तुम नाराज हो, रुष्ट हो? तुम्हें पता है मैं विजय के लिए जा रहा हूं। मैं चाहता हूं तुम प्रसन्नता से मेरे सामने देखो, आशीर्वाद दो। तब मैं जाऊं।' मां-'किसलिए जा रहे हो?' 'अमुक राजा को जीतने के लिए। 'क्या करोगे?' 'मां! मेरा सपना है-मैं सर्वजित् बनूं, सबको जीतने वाला बनूंदुनिया में कोई ऐसा नहीं, जिसे जीत न सकू।' 'वत्स! कितना क्षुद्र चिंतन है तुम्हारा। क्या तुम दूसरों को जीतकर सर्वजित् बनोगे? इतने दिन मैं देखती रही। मैंने कुछ नहीं कहा। अब मुझे लग रहा है तुम्हारे सिर पर एक भूत सवार है। तुम पागल होते जा रहे हो। तुम इस बात को छोड़ो। तलवार को नीचे रखो। लड़ाइयां बंद करो। किसी पर आक्रमण मत करो।' - मां! मेरा सपना कैसे पूरा होगा?'

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