Book Title: Ganeshvrat Katha
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मा. ग.त्रः जयेत्।।व्रतेचहोमयेद्रव्यं वैशवीत्वमामुयात्॥३॥अत्राप्युदाहांतीम|| मितिहासंपुरातनम् ॥त्रेतायुगेसमारव्यातॉराजोदशरथः पुरा॥शामृगया रसिकश्यासीहाह्मणस्तरपीडितः। शशापतंडिजश्रेष्ठःपुत्रशोकॉन्मरिष्य सि॥५॥ उद्विगमनसाराज्ञारुतापुत्रेष्टिरद्भता॥ चतुर्ग्रहावतारणरामोज ज्ञजगत्प्रभुः॥६॥तत्पनीजानकीजातालक्ष्म्या:प्रतिनिधिःसती॥पितुनि योगाद्रामोपिससीतोलक्ष्मणान्वितः॥७॥वनंजगामविश्वात्मानिर्दहनक्ष साकुलम्॥तत्रसीतांजहाराथरावणोलोकरावणः॥सीतावियोगतोरामो जनस्थानस्वयंजही॥ऋष्यमूकगिरोमैत्रीसुमीवेणलदाभवत्॥९॥हनुम समुखाःसर्वेन्वेषणेजग्मुरातुराः। सीतायास्तत्रसंपानिर्ददृशुर्वानरान्युनः For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76