Book Title: Dwipsagar Pragnapti Sangrahani Author(s): Vijayjinendrasuri Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 2
________________ Q000 DE श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थाङ्कः २९५ || श्री महावीरजिनेन्द्राय नमः ॥ || श्रीमणिबुद्ध्याणंदहर्ष कर्पूरामृतसूरिभ्यो नमः ॥ श्रुतस्थविरविरचिता श्री द्वीपसागर - प्रज्ञप्ति संग्रहणी संशोधकः संपादकश्च प्रज्याचार्यदेव -श्रीविजय कर्पूरसूरीश्वर - लाशोद्धारक O आ ग्रन्थमां २२३ पूज्य - श्रीविजयामृतसूरीश्वर - पट्टधरः पूज्याचार्यदेवश्री विजय जिनेन्द्रसूरीश्वरः सहायक: श्री पुण्यधन पू. पं. श्री भद्रानंदविजय गणिवर शिष्यादिपू. मूनिराज श्री मुक्तिधनविजय पू. मु. विजयोपदेशेन श्री बारेजा ( अमदावाद ) श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघः प्रकाशयित्री श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला लाखाबावल - शांतिपुरी ( सौराष्ट्र ) 99©©C 000Page Navigation
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