Book Title: Dhyan Kalptaru
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Kundanmal Ghummarmal Seth

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Page 387
________________ ध्यानकल्पतरू मै एक अल्पज्ञ विषय कषायका सदन अनेकदुर्गुण करपूरितऐसे गहन ध्यानका यथार्थ वर्णव करने अमसर्थ हूं. क्यों कि शुक्लध्यान मेरे अनुभव के बाहिर है. मैने जो कुछ लिखा है सो जिनोक्त सूत्र व किनेक ग्रंथों के अनुसार और किनेक स्थान सद्भाबिक बौध रूपभी लेख आया है, इस लिये पाठक गणसे नम्र क्षमा याच ता है. और ऐसीही क्षमा इस ग्रन्थकी सर्व अशुद्धीयों के लिये चाहता हूं. परम पूज्य श्री कहानजी ऋषिजी महाराज की स म्प्रदाय के महंत मुनी श्री खुबा ऋषिजी महाराजके शिष्य आर्य मुनी श्री चैना ऋषिजी महाराज और उनके शिष्य बाल ब्रह्मचारी मुनी श्री अमोलख ऋषि जी रचित 'ध्यानकल्पतरू' ग्रन्थका शुक्लध्यान नामक चतुर्थ शाखा समाप्त . ध्यान कल्पतरू समाप्तम्

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