Book Title: Dhurtakhyan
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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुर्ताख्यान. मध्य भागमां श्रीकृष्ण रह्यो, तेना पेटमा अनेक पर्वतों तथा वनी, सहित पाखी पृथ्वी रही. ते जो साचुं होय तो ढीक पंग्वणीना पेटमां अजगर रखो ते खोटुं केम कहेवाय ? 3 / / प्र० कंदरीक-चीभडाप्रमुखमांरहेलो हुं अने मारी सार्थना लोको ए सर्व मुवा केम नहीं? नएलाषाढ---जे पृथ्वी ऊपरऋषिओना व्यापार युद्धादिकना आरंभ, व्यवहारादिक ऊत्सव, वगेरे छतांते पृथ्वी कृष्णना पेटमां जीवती केम रही? जोए वात साची होय तो तुं अने गामना लोको केम जीवता न रहे? 4 प्र० कंदरीक-कृष्णनां पेटमां जगत् केम समायो हसे ? नएलाषाढ-नेनो ऊत्तर शांभळ--पूर्वे ब्रह्मा अने विष्णुनो पोनामां विवाद थयो. तेवारे ब्रह्मा कहेवा लाग्योके. मारा मुखथी. बाहथी, ऊरस्थळथी तथा पादथी अनुक्रमे चार वर्णनी ऊत्पत्ति थई. तेथी हुंज जगतनो कर्ता छु. For Private and Personal Use Only

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