Book Title: Dhananjay Ki Kavya Chetna
Author(s): Bishanswarup Rustagi
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 7
________________ ( v ) स्थिति के अन्तर्गत अर्थव्यवस्था तथा उससे सम्बद्ध उद्योग-व्यवसाय, आवासीय स्थिति, वेशभूषा और खानपान आदि की गतिविधियाँ निबद्ध की गयी हैं । इसके साथ ही धर्म-दर्शन, शिक्षा, कला, ज्ञान-विज्ञान तथा स्त्रियों की स्थिति आदि के विश्लेषण द्वारा युगीन सामाजिक परिवेश पर विचार किया गया है । अन्त में, सभी अध्यायों में प्रतिपादित तथ्यों का तुलनात्मक दृष्टि से विश्लेषण कर धनञ्जय के द्विसन्धान- महाकाव्य की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक महत्ता को रेखांकित करते हुए ग्रन्थ का “ उपसंहार" किया गयी है । 'सन्दर्भ-ग्रन्थ-सूची' के अन्तर्गत शोध-प्रबन्ध में उद्धृत सभी ग्रन्थ, पत्र-पत्रिकाएं आदि अपेक्षित विवरणों सहित निर्दिष्ट हैं। शब्दानुक्रमणिका भी संलग्न है। शोध-प्रबन्ध के प्रस्तुत रूप में आने तक की सुदीर्घ अवधि में मुझे दिल्ली विश्वविद्यालय के निवर्तमान प्रो० सत्यव्रत शास्त्री, संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो० सत्यपाल नारंग तथा पूर्व अध्यक्ष प्रो० ब्रजमोहन चतुर्वेदी तथा प्रो० पुष्पेन्द्र कुमार का आशीर्वाद तथा सत्प्रेरणाएं मिलती रहीं, अतः मैं उनके प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ । प्रो० बलदेव राज शर्मा, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ० श्रवण कुमार सिन्हा, रीडर, संस्कृत विभाग, देशबन्धु कॉलेज तथा डॉ० योगेश्वर दत्त शर्मा, रीडर, संस्कृत विभाग, हिन्दू कॉलेज के प्रोत्साहन से मुझे जो सम्बल मिला, तदर्थ मैं उनके प्रति भी आभार व्यक्त करता हूँ । I भारतीय तथा जापानी वाङ्मय के मर्मज्ञ मनीषी तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में जापानी अध्ययन के सूत्रधार, गुरुवर्य प्रो० सत्यभूषण वर्मा ने प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में विशेष रुचि ली, अत: मैं उनके प्रति धन्यवाद प्रकट करता हूँ । I डॉ० मोहन चन्द, रीडर, संस्कृत विभाग, रामजस कॉलेज, दिल्ली मेरे छात्र जीवन से ही अनन्य मित्र हैं । मेरी अधिकांश समस्याओं को हल करने में वे सदैव तत्पर रहे हैं । प्रस्तुत शोध-ग्रन्थ की समस्या भी उन्हीं के कुशल मार्ग दर्शन से हल हो सकी है । इस सबके के लिए मैं उनका सदैव ऋणी रहूँगा । 1 संस्कृत विभाग, रामजस कॉलेज के सहयोगी डॉ० रधुवीर वेदालङ्कार, डॉ० शरदलता शर्मा तथा डॉ० प्रदीप्त कुमार पाण्डा की सत्प्रेरणा मुझे मिलती रही है । डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, प्राचार्य, रामजस कॉलेज, दिल्ली का प्रोत्साहन भी मेरे साथ रहा है । इसके लिए मैं उनका हृदय से धन्यवाद करता हूँ । आचार्यरत्न श्री देशभूषण

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