Book Title: Dhammapada 02
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 259
________________ एस धम्मो सनंतनो आखिरी सवालः प्रेम मैंने जाना नहीं, यही मेरे जीवन की चुभन रही। यही कारण होगा जिसने मुझे ध्यान में गति दी। ध्यान से अशांति और वैर-भाव मिट रहे हैं। भक्ति और समर्पण मेरे लिए कोरे शब्द रहे। फिर भी ध्यान में और विशेषकर प्रवचन में, कई बार यह प्रगाढ़ भाव बना रहता है कि इस जीवन में जो भी मिल सकता था, सब मिला हुआ है। जीवन में कुछ भी दुर्भाग्य नहीं है। बाधाएं ही सीढ़ियां भी बन सकती हैं। - और सीढ़ियां बाधाएं भी बन सकती हैं। सौभाग्य और दुर्भाग्य तुम्हारे हाथ में है। जीवन तटस्थ अवसर है। एक राह पर बड़ा पत्थर पड़ा हो, तुम वहीं अटककर बैठ सकते हो कि अब कैसे जाएं, पत्थर आ गया। तुम उस पत्थर पर चढ़ भी सकते हो। और तब तुम पाओगे कि पत्थर ने तुम्हारी ऊंचाई बढ़ा दी। तुम्हारी दृष्टि का विस्तार बढ़ा दिया। तुम रास्ते को और दूर तक देखने लगे। जितना पत्थर के बिना देखना संभव न था। तब पत्थर सीढ़ी हो गया। यह प्रश्न है कि 'मैंने प्रेम जीवन में नहीं जाना, यही मेरे जीवन की चुभन रही।' उसे चुभन मत समझो अब। प्रेम नहीं जाना, निश्चित ही इसीलिए ध्यान की तरफ आना हुआ। उसे सौभाग्य बना लो। अब प्रेम की बात ही छोड़ दो। क्योंकि जिसने ध्यान जान लिया, प्रेम तो उसकी छाया की तरह अपने आप आ जाएगा। दो ही विकल्प हैं परमात्मा को पाने के। दो ही राहें हैं। एक है प्रेम, एक है ध्यान। जो मिलता है वह तो एक ही है। कोई प्रेम से उसकी तरफ जाता है। उस रास्ते की सुविधाएं हैं, खतरे भी। सुविधा यह है कि प्रेम बड़ा सहज है, स्वाभाविक है। खतरा भी यही है कि इतना स्वाभाविक है कि उसमें उलझ जाने का डर है। होश नहीं रहता। बेहोशी हो जाती है। इसलिए अधिक लोग प्रेम से परमात्मा तक नहीं पहुंचते, प्रेम से छोटे-छोटे कारागृह बना लेते हैं, उन्हीं में बंद हो जाते हैं। प्रेम बहुत कम लोगों के लिए मुक्ति बनता है, अधिक लोगों के लिए बंधन बन जाता है। प्रेम अधिक लोगों के लिए राग बन जाता है। और जब तक प्रेम विराग न हो तब तक परमात्मा तक पहुंचना नहीं होता। तो प्रेम की सुविधा है कि वह स्वाभाविक है। प्रत्येक व्यक्ति के भीतर प्रेम की उमंग है। खतरा भी यही है कि वह इतना स्वाभाविक है कि उसमें होश रखने की जरूरत नहीं। तुम उसमें उलझ सकते हो। __ जिनके जीवन में प्रेम नहीं संभव हो पाया और बहुत लोगों के जीवन में संभव 240

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