Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 625
________________ ५५६ देशी कोश रिह (प्र+विश्) --प्रवेश करना । रिह (राज)--शोभित होना। रीड (मण्डय)-- मंडित करना (प्रा ४१११५) । रीर (राज्)--शोभना, चमकना (प्रा ४३१००)। रंज (रु)--- आवाजकरना (प्रा ४१५७) । रुट (रु)-आवाज करना, चिल्लाना (कु पृ ७७) । रुभ-स्थिर होना। रुव--पीसना-रुविज्जतासु कणिक्कासु' (कु पृ १००)। रुच-पीसना। रुच्च-१ पीसना-खेट्टादि भज्जति रुच्चति वा' (आचू पृ ३३८) । २ ब्रीहि आदि को यंत्र में निस्तुष करना। रुणरुण-करुण क्रन्दन करना (कु पृ २६) । रुणुरुंट-गुंजारव करना । रुल (लुठ)-लेटना। रुल-भटकना—'नट्ठअडवीए रुलंतं अच्छेज्ज' (निचू ३ पृ ३१७) । रुलघल-नि:श्वास डालना। रुलुघल-नि:श्वास डालना। रुहरुह-मन्द मन्द बहना । रूस-खोज करना, गवेषणा करना-'रूसेह त्ति देशीवचनत्वाद् गवेषयत' (बृटी पृ ८५३) । रेअव (मुच्) --छोड़ना (प्रा ४१६१) । रेल्ल (प्लावय)-सराबोर करना। रेल्ल-१ शोभना, चमकना-'शुभ् धात्वर्थे देशी । २ बोलना-'भाष धात्वर्थे देशी।' रेह (राज)-शोभना, चमकना (प्रा ४११००) । रोंच (पिष्)- पीसना (प्रा ४।१८५) । रोक्किर-दांत पीसना-'सीहो गज्जइ रोक्किरइ य' (व्यभा ४।३ टी प ८) । रोड-१ स्खलित करना, अटकाना, रोकना (आवचू १ पृ ४५०) । २ अनादर करना । ३ हैरान करना (आवहाटी २ पृ १४२) । रोव--गीला करना। रोसाण (मृज)-मार्जन करना (प्रा ४।१०५) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,

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