Book Title: Deepratnasagars Ssaahity Yaatraa Of 585 Publications 2017
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 18
________________ नमो नमो निम्मलदसणस्स आगम-संबंधी-साहित्य प्रत्यकबुद्धभाषितानि 'ऋषिभापिनसूत्राणि' मूलं Folder - 10 आगम संबंधी साहित्य कुलकिताबें - 9 भाषा- प्राकृत, संस्कृत कुलपृष्ठ 1000 इस दशवे फोल्डर में हमने 9 प्रकाशनों को सम्मिलित किया है जिस में आगमिय सुक्तावली, ऋषिभाषित, अंगसूत्र--उपांग-प्रकीर्णकसूत्र--नन्दी आदि सूत्र एवं गाथादि अनुक्रम, अंग-उपांग-प्रकीर्णक-नन्दी आदि सूत्रो का विषयानुक्रम को नव प्रतोमें प्रिन्ट करवाया था | पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चूर्णि, भाष्य, नियुक्ति आदि भी संपादित किए है | हमने सोचा की वो प्रत/पोथीयुग था, अब पुस्तक-युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक-रूपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर Net publication के रूप में रख दे | फिर हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम, आगम का नाम, आगम का प्रकार, आगमप्रकार का क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो श्रुतस्कंध, अध्ययन, उद्देश, सूत्र/गाथा, नियुक्ति आदि उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो, अध्ययनादि की सूचना हो या मुद्रणदोष हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए | बाद में मल्टीकलर में वो सब मेटर net पे रख दिया | आप इसे इंटरनेट पर 'www.jainelibrary.org' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' | ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है | -- मुनि दीपरत्नसागर Muni DeepratnaSagar's 585 Books (1,03,130 Pages] Mobile: +91-9825967397 Email: jainmunideepratnasagar@gmail.com मुनि दीपरत्नसागर की 585..... | Page 18 of 60 ||.....साहित्य कृतियो का परिचय ।

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