Book Title: Dandakadik Dwar Sangraha
Author(s): Saubhagyashreeji
Publisher: Umedchand Raichand

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Page 197
________________ (300) तेश्री सुक्ष्म ते कायिया अपर्याप्ता असंख्यात गुणा, ६५ तेथी सुक्ष्म पृथ्वीका यिया अपर्याप्ता विशेषाधिक, ६६ तेथे सुक्ष्म पकायिया पर्याप्ता विशेषाधिक, ६७ ते सुक्ष्म वा कायिया अपर्याप्ता विशेषाधिक, तेथी ६० तेथी सुक्ष्म तेका थिया पर्याप्ता संख्यात गुणा, ३५ तेथी सुक्ष्म पृथ्वीकायिया पर्याप्ता विशेषाधिक, So तेथी सुक्ष्म अपकायिया पर्याप्ता विशेषाधिक, ११ तेथी सुक्ष्म वा कायिया पर्याप्ता विशेषाधिक, ७२ तेथी सुक्ष्म निगोदनां शरीर अपर्याप्ता असंख्यात गुणा, ७३ तेथी सुक्ष्म निमोदनां शरीर पर्याप्ता संख्यातगुणा, १४ तेथी अनव्य सिड़िया जीव अनंत गुणा, ७५ तेथी पडिवाय प्रतिपत्ती सम्म दृष्टिजीव अनंतगुणा, ७६ तथी सिझना जीव अनंतगुणा, 99 ते बाद वनस्पतिकायिया पर्याप्ता अनंतगुणा, ७० तेथ बादर पर्याप्ता विशेषाधिक, ७५ तेथी बादर वनस्पतिका यिया पर्याप्ता श्रसंख्यातगुणा, ८०. तेथी बादर पर्याप्ता विशेषाधिक, ८१ तेथी सर्वपर्याप्ता बादरजीव विशेषाधिक, ८२ तेथी सुक्ष्म वनस्पतिका

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