Book Title: Chousath Ruddhi Poojan Vidhan
Author(s): Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
View full book text
________________
[२२]
(धत्ता)
यह जयमाला, परम रसाला, कुंद ऋद्धि धर गुणमाला । मुनिगण गुणमाला, हर जंजाला, बुद्धि विशाला करि भाला ||
ॐ ह्रीं शुद्ध-बुद्धि-ऋद्धि-धारक - सर्वमुनीश्वरेभ्यो जयमाला पूर्णाऽर्घ्यं नि० । (दोहा)
बुद्धि ऋद्धिधर मुनितणी, पूज करे जु बुद्धि प्रचुर ताकै हृदय, परगट होय
॥ इत्याशीर्वादः ॥
इति प्रथम कोष्ठ पूजा
सदीव | अतीव ॥
अथ द्वितीयकोष्ठे चारणऋद्धिधारक मुनिवर
पूजा
॥ स्थापना ॥
( अडिल्ल छंद)
क्रिया चारणी ऋद्धि भेद नव है सही ।
तिनके धारक सर्व मुनिश्वर हैं मही ॥ आह्वानन, संस्थापन, मम सन्निहित करों ।
मन वच तन करि शुद्ध वार त्रय उच्चरों ॥ ॐ ह्रीं चारणऋद्धिधारकसर्वमुनीश्वरसमूह ! अत्रवतरावतर ! संवौषट् ।
आह्वानम्
ॐ ह्रीं चारणऋद्धिधारकसर्वमुनीश्वरसमूह ! अत्र मम तिष्ठ तिष्ठ ! ठः ठः ! स्थापनम्
ॐ ह्रीं चारणऋद्धिधारकसर्वमुनीश्वरसमूह ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं ।

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68