Book Title: Chitt aur Man
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 325
________________ लेश्या और भाव ३०६ उदाहरण प्रस्तुत किए गए। एक है संज्ञी का उदाहरण और दूसरा है असंज्ञी का उदाहरण । असंज्ञी का उदाहरण बहुत महत्त्व का है । वह अध्यवसायी की सारी स्थिति को स्पष्ट करता है । एक वनस्पति का जीव है । उसके न मन है, न वचन है, वे वल शरीर है । वह जीव निरंतर सोया रहता है। उसके लिए न कोई दिन होता है और न कोई रात । सब कुछ रात ही रात है । वह जीव केवल सोता ही सोता है । मनशून्य और वचनशून्य वह वनस्पति का जीव भी अठारह पापों का सेवन करता है । अठारह पापों से होने वाला कर्मबंध उसके होता है । ऐसा क्यों होता है ? यह इसलिए होता है कि उस जीव के अध्यवसाय होते हैं, असंख्य अध्यवसाय होते हैं । वे अध्यवसाय विशुद्ध और अशुद्ध- दोनों प्रकार के होते हैं । अशुद्ध अध्यवसाय होते हैं इसलिए उसके कर्म का बंध होता है । हिंसाजनित कर्म का बंध भी होता है और परिग्रहजनित कर्म का बंध भी होता है । इसी प्रकार क्रोध, मान, माया और लोभजनित कर्म का बंध भी होता है । वह जीव अपने शत्रुओं की हिंसा करता है इसलिए हिंसाजनित कर्म का बंध होता है । यह बहुत उलझन भरी बात है । क्या ऐसा होना संभव है ? हां संभव है । विज्ञान की दृष्टि हम वर्तमान विज्ञान की दृष्टि को भी समझें । हमने मस्तिष्क, मन और वचन को बहुत बड़ा स्थान दे दिया किन्तु हमारे ज्ञान का सबसे बड़ा स्रोत है अध्यवसाय । अध्यवसाय के बाद जो ज्ञान होता है शारीरिक दृष्टि से -उसके बड़े स्रोत हैं - हमारी कोशिकाएं । जिन जीवों के मस्तिष्क नहीं होता, -मन नहीं होता. उनकी कोशिकाएं सारा ज्ञान करती हैं । वनस्पति के जीव जितने संवेदनशील होते हैं, मनुष्य उतने संवेदनशील नहीं होते । वनस्पति में - अध्यवसाय का सीधा परिणाम होता है इसलिए उन जीवों में जितनी पहचान, जितनी स्मृति और दूसरों के मनोभावों को जानने की जितनी क्षमता होती है। वैसी क्षमता बहुत सारे मनुष्यों में भी नहीं होती । 'वेकस्टर के प्रयोग वैज्ञानिक वेकस्टर ने वनस्पति पर अनेक प्रयोग किए। उसने एक प्रयोग यह किया- कागज के छह टुकड़े लिये । पांच टुकड़ों पर कुछ नहीं लिखा । एक टुकड़े पर लिखा- इस कमरे में जो दो पौधे हैं, उनमें से एक पौधे को उखाड़ देना है, नष्ट कर देना है, पैरों से रौंद डालना है। उसने कागज के छहों टुकड़े कमरे में रख दिए। फिर उसने छह व्यक्तियों की आंखों पर पट्टी बांधकर उनसे कहा- कमरे में जाओ और एक-एक टुकड़ा उठा लो । छहों व्यक्ति कमरे में गए। उन्होंने एक-एक टुकड़ा उठा लिया । एक व्यक्ति के हाथ में वह लिखा हुआ कागज आया। छहों ने आंख की पट्टियां खोलीं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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