Book Title: Chaitya Purush Jag Jaye
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Sarvottam Sahitya Samsthan Udaipur

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Page 24
________________ (19) करें हम आत्मा का सम्मान। आत्मा की आराधना से बनता संघ महान। करें हम आत्मा... उसका सिंचन पा अनुशासन बन जाता वरदान। करें हम आत्मा का सम्मान।। 1. अनुशासन के बीज मंत्र का था ज्ञाता, विज्ञाता, मर्यादा के पुण्य-कलश का अद्भुततम निर्माता।। आर्य भिक्षु की जीवन शैली एक नया संधान ।। करें हम आत्मा का सम्मान । 2. करें हम आज्ञा का सम्मान। आज्ञा की आराधना से बनता संघ महान, करें हम आज्ञा..... उसका सिंचन पा अनुशासन बन जाता वरदान। करें हम आज्ञा का सम्मान। आज्ञा का आलोक तीसरा जागृत नेत्र हमारा, विधि-निषेध का पथ दिखलाता तम में है उजियारा, आर्य भिक्षु के नव चिंतन का यह अनुपम अवदान।। करें हम आज्ञा का सम्मान। 3. करें हम समता का सम्मान। समता की आराधना से बनता संघ महान, करें हम समता..... उसका सिंचन पा अनुशासन बन जाता वरदान। करें हम समता का सम्मान। संविभाग संपुष्ट व्यवस्था साम्य योग की रेखा, 'पांती', 'बारी' के दर्पण में समाधान है देखा। रहना सीखें, सहना सीखें, जीवन का उपमान।। करें हम समता का सम्मान। 4. करें हम उपशम का सम्मान। उपशम की आराधना से बनता संघ महान, करें हम..... चैत्य पुरुष जग जाए 230 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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